अपने खजाने की लूट के हिसाब को जानें। - प्रसिद्ध यादव।

  


  औसत दर्जे के व्यक्ति का महीना पूरा होने से पहले घर चलाने के पैसे खत्म हो जाता है। स्कूल के फीस ,कॉपी -किताब  ,डॉक्टर की फीस ,दवाई ,दूध ,राशन ,सब्जियां ,ट्रेवलिंग ,कपड़े  आदि पूरा करने में लोग हांफ जाते हैं। बीच में कोई नेवता ,शादी ब्याह, मरनी हुआ तो कर्ज लेकर इज्जत बचती है। खुद के घर में शादी ब्याह हो गया तो घर के मुखिया कपार पकड़ लेता है, खासकर बेटियों की शादी में। खेत गहने बिके बिना बेटी की हाथ पीली नहीं होती है।बेटा के ब्याह में भले भांगड़ा कर ले ,लेकिन शादी के बाद जब शामियाना, बाबरची, टेंट,डेकोरेशन ,हलवाई,बैंड बाजे,कपड़े,गहने  का तगादा शुरू होता है तो सब भांगड़ा भारतीय नाट्यम में बदल जाता है। घर में श्राद्ध ,मृत्यु भोज हुआ तो खटिया ,बाछी दान करते करते लोग के दम फूलने लगता है।  मृत आत्मा के शांति के लिए गरुड़ पुराण का पाठ हुआ तो यजमान इतना शांत हो जाता है कि मृत आत्मा भी पीछे छूट जाता है। व्रत त्योहार ,पुर्णिमा, अमावस्या ,एकादशी ,त्रियोस्ति पता करने में भर -भर झोला अनाज ब्राह्मण को देना पड़ता है।  गृह प्रवेश कर पंडित फीस कितना है? एक दिन का करीब 10 हजार और दो दिन का 30 हजार रुपए। इतना फीस किसी अच्छे डॉक्टर्स, इंजीनियर, प्रोफेसर का है क्या ? जो लाखों रुपए खर्च कर के काबिल बने हैं।नहीं।फिर ये पंडित इतना कैसे ठग लेता है। आपके अंदर भय दिखाकर। शादी ब्याह की फीस कितनी है ?5 से 10 हजार , सत्यनारायण स्वामी की कथा 500 से 1000 रुपए , केला, सेव गाजर आदि फल भगवान के नाम पर ले गया वो अलग है। श्राद्ध में तीन चार वेराइटी के पंडित का यूज होता है। मुखाग्नि के लिए घाट के अलग , दशकर्म के लिए कांतहवा पंडित, ब्रह्मभोज के दिन जागा व पुरोहित पंडित, दूध लगाने के दिन के पंडित ,गया में पिंड दान के लिए अलग पंडित।इन सभी को कितना फीस देना पड़ता है ? एक हजार से लेकर 10 -20 हजार तक। इन पैसों के लेन देन पर सरकार की कोई लेखा जोखा नहीं है। अगर कोई एक रुपया के चॉकलेट भी खरीदता है तो जीएसटी लगता है लेकिन यहाँ लाखों की दान दक्षिणा कर रहित है। अब सवाल उठता है कि ब्राह्मण आपके घर जबर्दस्ती आकर पूजा पाठ करवाने नहीं आता है तो फिर उसके खिलाफ कुछ भी लिखने का हक नहीं है।ये बात अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होता है। जो लोग भय से ठगी के शिकार हो रहे हैं, उन्हें तो सचेत किया जा सकता है। एक बात और है कि साढ़े साती, ग्रह गोचर कौन और क्यों बताता है? सिर्फ आपके तिजोरी में डाके डालने के लिए और खुशी खुशी डलवाते हैं ,इससे बड़ी धरती पर मूर्खता का प्रमाण क्या हो सकता है? आपको आशीर्वाद स्वरूप पंडित के मुंह से क्या निकलता है? धरती के राजा हो जा !जब तक धरती रहे तब तक राजा बनकर रहें! इतनी सी बात सुनते ही आपकी तिजोरी खुलने लगती है।आप खुशी से पागल हो जाते हैं और फिर अपना सर्वस्व न्योछावर करने लगते हैं। है न मजे की बात ! आपके पड़ोसी ,रिश्तेदार ,मित्र  अभावग्रस्त जीवन जीने के लिए मजबूर है, उसके लिए एक अधेला भी नहीं निकलेगा,उल्टे उसकी गरीबी का मज़ाक उड़ाएंगे।

 " दया धर्म चाहे दान करो ये किसी काम नहीं आते

दीन दुखी निर्धन को जब तक गले से नहीं लगाते। 

पहन के भगवा तिलक लगा के बने तू संत ज्ञानी

हो गया मस्त मलंग न पीड़ा किसी की तूने जानी। "

इस ढकोसला का मूल्यांकन स्वम कर इसका जवाब ढूंढे।जब आप बहू खोजने जाते हैं तो क्या उस लड़की से पूछते हैं कि कितनी बार मंदिर जाती है? कितना शिव चर्चा में भाग लिया, कितनी एकादशी,द्वादशी, त्रयोदशी ,नवरात्रि पर्व करते हैं?नहीं न।सिर्फ डिग्री खोजते हैं, हिंदी के साथ अंग्रेजी में भी प्रवीण हो। फिर  ये सब काम बेटियों से क्यों करवाते हैं ?आपके खजाने की लूट एकाएक बन्द नही हो  सकती है लेकिन धीरे - धीरे कम तो हो सकता है।अगर एकदम बन्द हो जाये पाखंडियों की दुकानें तो क्या कहने हैं? एक साल इन फिजूलखर्ची को बन्द कर के देखें।आपके अनेक आवश्यक काम पूरा हो जाएगा। यज्ञ ,अखंड ,ढोंगियों के प्रवचन ,व्यर्थ के तीर्थ यात्रा बन्द कर दें तो धन के साथ  - साथ समय की भी बचत होगी। ढोंग की दुकानदारी करने वाले का ठाठ आज राजे महाराजे से कम नहीं है।हर सुख सुविधाओं से लैस है।उसके पास हजारों लाखों में उनके फ़ॉलोअर्स हैं।ये सब हमारी मूर्खता के ही कारण तो हैं।


Comments

Popular posts from this blog

चुनाव आयोग विलम्ब से वोटिंग प्रतिशत बताया! वोटरों की संख्या क्यों नहीं बताते?

शिवहर में आनंद मोहन भाजपा विधायक जायसवाल को तू कहने पर जायसवाल भड़के !

पूर्व मुखिया उदय शंकर यादव पंचतत्व में हुए विलीन !