बामसेफ व यूनिटी ऑफ मूलनिवासी का 24 वां बिहार राज्य अधिवेशन खगौल में हुआ सम्पन्न।-प्रसिद्ध यादव।
बहुजनों के अधिकार से वंचित करने की साज़िश सदियों से रची गई है जो अभी जारी है।-कमलाकांत काले , राष्ट्रीय अध्यक्ष बामसेफ
खगौल । राधेकृष्ण मैरिज हॉल में बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलाकांत की अध्यक्षता में बामसेफ व यूनिटी ऑफ मूलनिवासी का 24 वां बिहार राज्य अधिवेशन खगौल में हुआ । अधिवेशन में महात्मा बुद्ध, संत कबीर दास ,पेरियार, ज्योति बा फूले, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, जगदेव बाबू ,चंदा बाबू ,ललई यादव सरीखे विद्वानों के विचारों पर चर्चा हुई।
अधिवेशन के उद्घाटनकर्ता प्रो शशिकांत प्रसाद ने ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता " हमारे हिस्से में क्या ? ठाकुर का कुंआं ,ठाकुर की जमीन को विस्तार से बताया। सनातन धर्म या धर्म सनातन पर विस्तृत चर्चा की।
मुख्य अतिथि सुभाष पाल ने बताया कि आज धर्म के नाम पर लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं।
विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध यादव ने चर्चा में बताया कि धर्म के नाम पर हम उग्र हो रहे हैं लेकिन अपने अधिकार के प्रति जागरूक नहीं हो रहे हैं, महिलाओं को नंगा करके घुमाया जा रहा है और हम मौन हैं।महिला आरक्षण पर राष्ट्रपति को संसद के नए भवन में उद्घाटन के अवसर पर आमंत्रित नहीं करना ढोंग है।प्रेमचंद की लिखित कहानियां 'गोदान ,ठाकुर का कुंआं, सद्गति ,कायकलप्प ,सवा सेर गेंहु 'की भी चर्चा की ओर पढ़ने की नसीहत दी। वीना मलिक ने बताया कि नारी शक्ति वंदन नहीं,अपमान है।जाति को खत्म कर मूलनिवासी मानना पड़ेगा। धन्यवाद ज्ञापन लक्ष्मी पासवान ने किया।
तीन विषयों पर चर्चा हुई जो निम्न हैं-
1 उग्र साम्प्रदायिकता के द्वारा एक तरफ sc st obc का राजनैतिक लाभ के लिए धुर्वीकरण करना और दूसरी तरफ इनके ऊपर अन्याय ,अत्याचार करना एवम इनके संवैधानिक अधिकार समाप्त करना मनुवादियों का भयानक षड्यंत्र है -एक गंभीर चर्चा ।
2 जाति आधारित गिनती नहीं करना ucc के नाम पर संवैधानिक अधिकार समाप्त करना ,नई शिक्षा नीति द्वारा शिक्षा समाप्त करना शासक वर्ग का भयानक षड्यंत्र है- एक विश्लेषण।
3 व्यक्तिगत राजनैतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए सामाजिक आंदोलन की जड़ों को कमजोर करना बहुजन राजनीति की विफलता का मूल कारण है।-एक चर्चा।
विशिष्ट अतिथि- डॉ चंद्रन चौधरी
प्रो गजेंद्र यादव, खगड़िया
दीपक कुमार गुप्ता, मधेपुरा
रमाशंकर भारती ,जनमेजय कुमार , मो जाकिर हुसैन, कैमूर ,मो आदम परवेज़, पत्रकार ,प्रो सीडी यादव, प्राचार्य व अन्य दर्जनों वक्ताओं ने विचार रखे।



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