हँसना -हँसाना सब के वश की बात नहीं है !
फूलों से नित्य हँसना सीखो। आज के तनाव भरी जिंदगी में लोगों के चेहरे से मुस्कान गायब हो गया है, फ्रस्ट्रेशन बढ़ गया है पाई पाई जोड़ने में। सुबह के मॉर्निंग वॉक में कई साथी हैं, उसमें महम्मदपुर में सजिदनंद शर्मा जी और सांसद बहन मीसा भारती जी के पति शैलेश जी के अपने मामा जमालुद्दीन चक के तारकेश्वर यादव जी हास्य व्यंग्य से लौट पोट कर देते हैं।कभी कभी मेरी बारी सुनाने की आती थी और आज मैं ऐसा व्यंग्य सुनाया की लोग वही लोट - पोट हो गए।सुबह में नेचुरल तरीके से हंसना बड़ी बात है।मुझे वाकिंग करते समय लोग रोक - रोककर व्यंग्य सुनते हैं।व्यंग्य सुनना एक कला है।जीवन में आप जैसे भी हैं हँसते रहते हैं तो आप फिट हैं, सुखी हैं।परिवार के लोगों से भी हँस कर मुस्कुरा कर बातें करें,घर परिवार बना रहेगा।शत्रु के सामने मुस्कुरा दिए तो उसे शामत आ जाती है। यह प्रकृति का अनुपम उपहार है लेकिन यह सभी को नसीब नहीं होता है।मैं जीवन में हँसने के सिवाय और कुछ किया ही नहीं।आप भी मेरे साथ हँसते मुस्कुराते रहिये।
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