बिहार जातीय जनगणना और बिहार सरकार ! - डा सकलदेव सिंह।
मौजूदा महागठबंधन सरकार की जितनी भी प्रशंसा की जाय बहुत ही कम होगी । बिहार में जनगणना 1931 में तब हुआ था जब अखंड भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित था और ब्रिटेन का उपनिवेश था। करीब 91 वर्ष के बाद जातीय जनगणना रिपोर्ट ऐतिहासिक तिथि 2nd अक्टूबर 2023 को देशवासियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाना अपने आप में एक "मिल का पत्थर " साबित हुआ है।
भारत के तमाम विरोधी के साथ ही साथ न्यायालय भी भी विरोध में था,लेकिन अंततः जीत जुझारू सरकार की हुई। आरएसएस और बीजेपी ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ और विपरीत परिस्थितियों में भी " "आम का आम और गुठली के दाम" सहित सफलता हाथ लगी।
आज समाजवादी नेता डा राम मनोहर लोहिया और बिहार लेनिन बाबू जगदेव प्रसाद का सपना साकार हुआ। वे अर्द्ध शताब्दी पूर्व ही डंके के चोट पर मांग किया था जो जनगणना रिपोर्ट में शत प्रतिशत सही आंकड़ा निकला।
सरकार ने उनके सपनों के भारत को जीवंत किया है।
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