बिहार सरकार जानबूझकर बीएडधारी अभ्यर्थियों को दी धोखा !-प्रसिद्ध यादव।

  मैं शुरू से ही इस मुद्दे पर सरकार को चेतावनी दे रहा हूँ, अखबारों में भी मेरी बात आई थी लेकिन सरकार कान में तेल डालकर सो रही थी।


बिहार सरकार के महाविद्वान शिक्षा मंत्री और सचिव के रहते और जानते हुए कि सुप्रीम कोर्ट राजस्थान के ऐसे डिग्रीधारकों को प्राथमिक शिक्षक के अयोग्य घोषित किया है और यह पूरे देश में लागू होगा फिर भी परीक्षा में दो दिनों तक शामिल कर आर्थिक ,मानसिक रूप से दोहण किया। सिर्फ इसलिए कि अगर परीक्षा में ऐसे अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया तो परीक्षा के नाम पर वसूली गई मोटी रकम अभ्यर्थियों को लौटानी पड़ेगी । राशि न लौटानी पड़े इसके लिए अभ्यर्थियों को और आर्थिक ,मानसिक शोषण की। इस पूरे प्रकरण में सिर्फ और सिर्फ बिहार सरकार दोषी है और सरकार अविलंब वैसे अभ्यर्थियों को परीक्षा शुल्क वापस करे। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसले को एक साधारण सा व्यक्ति समझ रहा था कि सरकार भले ही वैसे 1 लाख 70 हजार अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल कर रही है लेकिन शिक्षक बनने से वंचित रह जाएंगे ,क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से कोई ऊपर नहीं है। बिहार सरकार अपनी विफलता छुपाने के लिए जनहित याचिका दायर कर ढोंग रच रही है।

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