ख़ुशी की वो रात आ गई कोई गीत जगने दो !
दीपावली के अवसर पर मुकेश द्वारा गया गीत आज भी कर्णप्रिय है। गीत लिखे थे मजरूह सुल्तानपुरी, संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल फ़िल्म धरती कहे पुकार के ।
ख़ुशी की वो रात आ गई कोई गीत जगने दो
गाओ रे झूम-झूम -२
कहीं कोई काँटा लगे जो पग में तो लगने दो
नाचो रे झूम-झूम -२
आज हँसूँ मैं इतना कि मेरी आँख लगे रोने
आज मैं इतना गाऊँ कि मन में दर्द लगे होने
ओ मज़े में सवेरे तलक़ यही गीत बजने दो
नाचो रे झूम ...
धूल हूँ मैं वो पवन बसंती क्यों मेरा संग धरे
मेरी नहीं तो और किसी की पैया में रंग भरे
ओ दो नैनों में आँसू लिए दुल्हनिया को सजने दो
नाचो रे झूम ...
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