दृढ़ निश्चयी को न कोई खरीद सकता है न बहका सकता है।- प्रसिद्ध यादव।

  


अगर आपके कदम चंद लोभ लालच में डगमगाते हैं ,विचारों को तिलांजलि दे देते हैं तो आप किसी के विश्वासपात्र नहीं हो सकते हैं। मनुष्य विचारों, सिद्धांतों के साथ जीता है।चाहे विपरीत परिस्थिति में ही क्यों न जीना पड़े ? आपकी भले ही पहचान, सम्मान न मिले । आप मील के पत्थर साबित होंगें, जो न जाने असंख्य लोगों को सुगम बनाने का काम करते हैं। महात्मा बुद्ध दुनिया को सत्य ,अहिंसा के सिद्धांतों को दिया।दुनिया इस सिद्धांत से फलफूल रहा है लेकिन  इनकी ज्ञान की भूमि  अज्ञानता की चादर ओढ़े इठला रहा है, हिंसा के रास्ते चलकर पीढ़ी दर पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है। दुनिया में आज जो भी ऊंचे मुकाम हासिल किये हैं, वे सभी दृढ़ निश्चयी ,व सिद्धांतों पर चलने वाले हैं। अपने हक हकूक के लिए संघर्ष करना पड़ता है और कभी कभी इसमें लोगों का साथ छूट जाता है।ऐसे में अदम्य साहस, पराक्रम,धैर्य से चलना पड़ता है। नेल्सन मंडेला रंगभेद नीतियों के खिलाफ लड़ने के कारण दो दशकों तक सलाखों में रहे ,लेकिन संघर्ष रंग लाया था और दुनिया की मानचित्र पर लोग जानने लगे । बिरसा मुंडा अपनी जर जमीन,जंगल  को बचाने के लिए आजीवन लड़ते रहे ।लोग इन्हें भगवान की संज्ञा देने लगे । कोई अपने अस्तित्व, स्वाभिमान के लिए लड़ रहा है तो कोई पद ,पावर के पीछे लोलुपता में अपने ज़मीर बेच रहा है। ज़मीर बेचने वाले न कभी मार्गदर्शक बन सकता है न नेता।भले चापलूसी कर सदन की शोभा बढ़ा दे, वो अलग बात है।

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