इकलौते निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा !

      ये 


 गम्भीर मामले हैं।

 सर पर चुनाव और निर्वाचन आयुक्त का इस्तीफा देना सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। 5 वर्ष पूर्व 10 मार्च को ही आचार संहिता लागू हुआ था ।चुनाव 11 अप्रैल से 9 मई तक हुआ था। निर्वाचन आयोग में 7 और 8 मार्च को ऐसा क्या हुआ कि उसी दिन निर्वाचन आयोग में इकलौते निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया? कुछ बहुत गंभीर बात हुई है जिसकी वजह से अपनी चार साल की सेवा को अरुण गोयल ने ठोकर मार दी. अगले चार साल में दो साल से ज्यादा गोयल  मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर रहते। गोयल के कुछ मुद्दों पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त के साथ मतभेद तो थे. ये अलग बात है कि अमूमन बड़े अधिकारियों के बीच इतने मतभेद तो चलते हैं रहते हैं, लेकिन छह और सात मार्च को आयोग में माहौल थोड़ा अलग महसूस किया गया.

आठ मार्च को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला निर्वाचन सदन आए थे. अजय भल्ला ने निर्वाचन आयोग के अधिकतर राज्यों में चुनावी तैयारियों को समीक्षा के बाद आम चुनाव के दौरान सुरक्षा बलों की तैनाती और आवाजाही का प्लान चेक किया. इसका उद्देश्य था कि जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र सहित पूरे देश में चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष, सहज और निर्भय माहौल में कराए जा सकें.अब ऐसी स्थिति में चुनाव कैसे होंगे ,यह चिंता का बिषय है।


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