बिहार सरकार कुम्भकर्ण नींद में और प्रिंटिंग प्रेस से ही प्रश्न पत्र आउट !

 



किस काम की सरकार और सुशासन?  प्रश्न पत्र आउट करने वाले को सरकार से, कानून से लेस मात्र का भी भय नहीं है। इससे पूर्व भी पुलिस परीक्षा में प्रश्न पत्र आउट हो गया था लेकिन सरकार इससे सबक नहीं ली बल्कि इस बार तो प्रिंटिंग प्रेस से प्रश्न पत्र आउट हो गया तथा  इस गोरखधंधे का दुष्परिणाम क्या होता है? सरकार को गहराई से सोचने की जरूरत है। प्रतियोगी दिन रात एक कर तैयारी करते हैं।दूर दराज परीक्षा केंद्र पर जाते हैं और परीक्षा देते हैं ,उसके बाद परीक्षा रदद् हो जाती है।   इसका भुक्तभोगी प्रतियोगी ही होते हैं, जबकि इसमें इसका कोई दोष नहीं होता है तथा समय और धन दोनों की बर्बादी होती है, जिसे सरकार को भरपाई करना चाहिए क्योंकि यह सरकार की निकम्मेपन को दिखाता है। गनीमत रही कि सेटर दबोचा गया नहीं तो सब फर्जी शिक्षक बन जाता है। पूर्व के प्रतियोगी परीक्षाओं से कितने फर्जी लोग सरकारी सेवा में आ गए होंगें ,वो ऊपर वाले ही जानें ।  प्रतियोगी युवाओं में निराशा हो गया है ।बिहार लोक सेवा आयोग  के द्वारा ली गई शिक्षक भर्ती परीक्षा के तृतीय चरण के पेपर लीक मामले की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है। आर्थिक अपराध इकाई  की जांच में यह बातें सामने आई है कि साल्वर गिरोह को पेन ड्राइव में परीक्षा के प्रश्न-पत्र की साफ्ट कापी दी गई थी। हजारीबाग में छापेमारी के दौरान साल्वर गिरोह के पास मिले प्रश्नपत्र पर बारकोड भी नहीं मिला है। ऐसे में आशंका है कि प्रेस में जाने से पहले या प्रश्न-पत्र की छपाई से पहले ही प्रश्न-पत्र की सॉफ्ट कॉपी ले ली गई थी। ईओयू को शक है कि इसमें परीक्षा संचालन से जुड़ा कोई अहम व्यक्ति शामिल हो सकता है। परीक्षा के प्रश्नपत्र की छपाई करने वाली एजेंसी और प्रिंटिंग प्रेस भी जांच के दायरे में है।
सीईओयू ने परीक्षा से जुड़ी जानकारी लेने के लिए बीपीएससी को एक नोडल पदाधिकारी तय करने को कहा है। इसके अलावा परीक्षा संचालन से जुड़े अहम पदाधिकारियों की जानकारी भी मांगी गई है। सरकार को सेटरों से कठोरता से पूछताछ कर और कितनी परीक्षाओं में कितनों की नॉकरी दिलवाई है, जानकारी प्राप्त कर सभी पर कठोर कार्यवाही करने की जरूरत है।

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