पीपलावां पुलिस को सेवा से बर्खास्त व सलाखों में बन्द करना चाहिए !

 



बिहार के शायद ही कोई ऐसा थाना होगा ,जहाँ दलाल नहीं है और उसकी चलती न हो।पटना जिला के थाना प्रभारी की इतनी हिम्मत कि जघन्य अपराध को रफादफा करने का कुचक्र रचा। ऐसे पुलिस की अंतरात्मा तो मर ही गया है, कानून का भी भय नहीं है।ऐसे वर्दी को दागदार बनाने वाले को निलंबन ही पर्याप्त नहीं है बल्कि शीघ्र जांच कर सेवा से बर्खास्त कर सलाखों में डालने की जरूरत है। बिहार सरकार फ्रेंडली पुलिस की बात करती है और उल्टे वे लोग दानव बने हुए हैं। बिहार सरकार को अविलंब ऑउट ऑफ दलाल फ्रॉम थाना अभियान चलाना चाहिए।दलालों को चिन्हित कर कार्यवाही करना चाहिए। पुलिस को प्रशिक्षण में स्पष्ट बताया जाता है कि वे जनता के सेवक हैं, उन्हें जनता के साथ सलीके से व्यवहार करना चाहिए ताकि जनता निर्भीक होकर अपनी समस्याओं को रखें। पुलिस विवाद को केस दर्ज कर न्यायालय के हवाले कर देती है ताकि लोग वहां जाकर दलीलों ,गवाहों व साक्ष्यों के आधार पर न्याय पा सके ,लेकिन जब पुलिस अपराध को न्यायालय तक जाने ही न दे और पीड़ितों को डरा धमकाकर बयान बदल दे तब कोई न्याय की आशा कैसे कर सकता है? भला हो निर्भीक पत्रकारों को जो अपनी जिम्मेवारी निभाते हुए पुलिस की काली करतूतों को जनता के बीच रखे और कानून उस पर एक्शन लिया। बात दें कि
  पीपलावां थाना प्रभारी  समेत 4 पुलिसकर्मी केस को मैनेज करने का आरोप, नाबालिग लड़की से 5 युवकों ने किया था। गैंगरेप पटना के पीपलावां में नाबालिग लड़की(11) से गैंगरेप मामले में थाना की लापरवाही सामने आई है। लापरवाही के चलते पीपलावां थाना प्रभारी सहित चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है

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