बेरोजगारी, महंगाई, भुखमरी मुद्दे पर नफरती फीके पड़ गए!
देश की जनता अब सीधे सवाल पूछ रही है बेरोजगारी, महंगाई, भुखमरी, शिक्षा, किसानों के फसलों की कीमत पर।एनडीए की बोलती बन्द है। भाजपा के इस बार न धर्म का ढोंग काम आ रहा है ,न जुमले। सेना में भर्ती होने वाले जवान अग्निवीर को खत्म करने की मांग कर रहे हैं तो केंद्रीय कर्मचारी ओल्ड पेंशन की मांग कर रहे हैं और एनडीए की घोषणा पत्र में कहीं एक शब्द इन बातों का जिक्र नहीं है। जनता पूछ रही है कि 400 पार किस बात के लिए? किस बात की गारंटी? कहाँ गए भाजपा के अच्छे दिन? सबके साथ, सबके विकास का क्या हुआ ? हर संसदीय क्षेत्र में गोद लिया गया पंचायत की सूरत कैसी है? दो हजार स्मार्ट सिटी कहाँ है?प्रति वर्ष दो करोड़ युवाओं को रोजगार ,भूमि सुधार के लिए स्वामीनाथन आयोग क्यों नहीं लागू हुआ? कोई जवाब नहीं है किसी के पास ? तब वोट किस बात की? सच यह है कि नफरतों की आंधियों में मंगलसूत्र नहीं पूरी मानवता खतरे में है। किसानों के राहों में ठोके गये कील अब सत्ता में कील ठोक रही है। नई शिक्षा नीति कई वर्षों से लटके हुए हैं ।कैसे लोग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लेंगें।
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