मैनपुर अन्दा के महादलित बस्तियों में मीसा भारती के प्रति गज़ब उत्साह देखा।
समझो अपनी ताक़त ! सर पर रखो अपने ताज!- प्रसिद्ध यादव।
लालू यादव की जागृति अंतिम पायदान के लोगों में जोश व संघर्ष को मैनपुर अन्दा पंचायत में देखा। साथ में थे प्रोफेसर शशिकांत व पूर्व सांसद साधु यादव के समधी बसन्तचक निवासी मेरे फुफेरे भाई वकील राय, अर्जुन राय, अरुण कुमार, सूरज राय आदि।
कभी हम इन महादलित, दलित बस्तियों में जाते थे फूस की झोपड़ी नज़र आती थी।बैठने के लिए चटाई ,बोरा मिलता था और हमलोगों की राजनीति बात सुनने के लिए डरे,सहमे लोग आते थे।वही बीच में कोई सामंती आ जाता था तो वंचित समाज के लोग बहाना बनाकर चले जाते थे। कल इन बस्तियों में जनसम्पर्क करने गया साथ में अन्य मित्रों के साथ एक वंचित समाज के प्रोफेसर शशिकांत जी भी थे। महादलित बस्ती में दो मंजिला मकान चकाचक करते रात में रोशनी की प्रकाश विजयी पताका की तरह लग रहा था।प्रोफेसर साहब मुझसे बोले कि आप मुझे कहीं और लेकर आ गए हैं।मैं बोला - जी नहीं।सही जगह लाया हूँ। जब वंचितों के बीच गया वहां कुर्सियां लगी हुई थी और चारों तरफ वंचित समाज के लोग बैठे हुए थे। प्रोफेसर साहब का मेरा परिचय करवाने के बाद इन्होंने लोगों से रूबरू होते हुए बोला- आज जो मैं प्रोफेसर हूँ, वो संविधान की ताकत से और बाबा साहेब के विचारों से हूं।हम वंचित समाज को आरक्षण मिला क्योंकि हमें सामान्य वर्ग जैसे न साधन थे,न सम्पति,न सामाजिक स्टेटस था।न टूल्स थे,न विरासत में कुछ मिला था, जो भी करना था,अपने बलबूते करना था। मुझे पटना में रहकर पढ़ने की जगह नहीं था।नतीजा, मैं देर रात तक पटना यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरी में रहकर पढ़ता था।मैं बिहार में डिप्टी कलेक्टर बना और 4 वर्षों तक काम किया।इसके बाद प्रोफेसर बना ताकि लोगों में खुलकर आजादी मिले। अब संविधान खतरे में है।आपके बच्चों का क्या हाल होगा? निजीकरण हो रहा है, जिससे आरक्षण स्वतः ही खत्म किया जा रहा है। हर तरफ ज्ञान,विज्ञान की जगह अंधविश्वास, पाखंड ,नफरत,जातीय भेदभाव किया जा रहा है।ये सब बातें हो ही रहा कि बीच में एक रईस नशे में धुत आकर टपक गया और मथुरा मंदिर के निर्माण पर बोलने लगा।हमलोग समझते हैं कि जहाँ भी वंचितों की हक हकूक की बात होती है वहाँ बीच में धर्म आकर टपक जाता है और मुद्दे से भटकाने का प्रयास करता है।मैं मोर्चे को संभाला और उसके नशे की हालत पर खरी खोटी सुनाई।वो खसक गया।हालांकि वंचित समाज आक्रोशित हो गए,लेकिन हमलोग शांत करते हुए अपने लक्ष्यों पर फ़ोकस रखने की सलाह दी।मीटिंग के बाद वंचित परिवार अपने घर ले गए, सोफे पर बैठाए तथा कप प्लेट में चाय दिए।ये बदलाव अम्बेडकर, लालू यादव की है, संविधान की ,ज्योति राव फुले,सावित्री बाई की है।आगामी 10 वर्षों में वंचितों का राज होगा अगर इस 2024 को साध लिया। समझो अपनी ताक़त ! सर पर रखो अपने ताज!

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