संस्था सूत्रधार ने कलम के जादूगर मुंशी प्रेमचन्द की 144वीं जयन्ती मनाई।







प्रेमचन्द की 144वीं जयन्ती पर संस्था सूत्रधार द्वारा संगोष्ठी आयोजित|

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 144वीं जयंती कार्यक्रम रंग संस्था सूत्रधार की ओर से संगोष्ठी के रूप में मनाया गया। वायरस डांस एकेडमी, महादेव स्थान के सभागार में आयोजित संगोष्ठी से पूर्व कलाकारों और रंगकर्मियों ने प्रेमचंद की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। प्रेमचंद का साहित्य और आम आदमी विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री ज्ञानेश्वर (प्राचार्य,पूर्व मध्य रेलवे सीनियर सेकेंडरी विद्यालय,खगौल) ने अपने संबोधन में प्रेमचन्द जैसे कालजयी व संवेदनशील साहित्यकारों/रचनाकारों को पढ़ने व समझने की सलाह दी और कहा कि हम सभी को इनसे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। ऐसे संवेदनशील लोगों को लोग भूलते जा रहे हैं हमे इससे जिन्दा लगाव रखने की जरूरत है ताकि नई पीढ़ी को इसके प्रति जागरूक कर सकें। कार्यकम के विशिष्ट अतिथि प्रो शशिकांत, विभागाध्यक्ष, अर्थशास्त्र जे. एन. लाल कॉलेज ने कहा के अच्छा लिखना और अच्छा बोलना कलाकारों की शक्ति कहलाती है। कलाकारों को इन दोनों में दक्ष करने के उद्देश्य से ही संस्था सूत्रधार इस तरह का आयोजन करती रहती है। संस्था के महासचिव नवाब आलम ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाएं समाज में विद्यमान कुरीतियों के उन्मूलन से जुड़ी हैं। कथा, कहानी और उपन्यास सभी में मानवीय संवेदना को दिखाया गया है। जैसे नमक का दारोगा, दो बैलों की कथा, पूस की रात, ईदगाह, बड़े घर की बेटी, माँ, पंच परमेश्वर, आँसुओं की होली, बूढ़ी दादी और सवा सेर गेहूँ आदि। प्रो. प्रसिद्ध कुमार ने कहा कि प्रेमचंद  की कहानियां आम आदमी की संवेदनाओं से ओत प्रोत है। उनके दुख,उनकी गरीबी और बेबसी को दिखाती हैं। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद का मशहूर कथन है कि-- “क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे?” यह एक ऐसा यक्ष  सवाल है, जो सोचने के लिए मजबूर कर दिया। गोदान,बेटों वाली काकी, नमक का दारोगा,पंच परमेश्वर,मंदिर मस्जिद , पूस की रात आदि।निर्देशक उदय कुमार ने कहा कि प्रेमचंद एक कालजई रचनाकर थे। जात पात और धर्म के भेदभाव से परे थे।समाज की कुरीतियों पर जोरदार ढंग से कुठारा घात किया है। रंगकर्मी जय प्रकाश मिश्र ने प्रेमचंद को सामाजिक बदलाव का सशक्त रचनाकर बताते हुए कहा कि प्रेमचंद ने बालमन पर भी ईदगाह,काकी,दो बैलों की कथा आदि भी लिखे। अभिनेता और निर्देशक अरुण सिंह पिंटू ने प्रेमचंद को आम आदमी का साहित्यकार बताते हुए कहा कि वे आम आदमी दुःख ,दर्द को बखूबी उकेरा है।जय प्रकाश मिश्र ने कहा कि आज प्रेमचन्द सबसे प्रासंगिक है क्योंकि उनकी रचनाएं आज भी हमें प्रेरित करती हैं। मंच संचालन करते हुए रंगकर्मी एवं पत्रकार राम नारायण पाठक ने कहा कि उनकी रचनाएं समाज में व्याप्त अंध विश्वास और विषमता पर आधारित हैं। उक्त अवसर पर अरुण सिंह पिंटू,कलाकार मो.अनवर,शोएब कुरैशी, मो सादिक,प्रेम राज गुप्ता, निशांत कुमार समेत कई साहित्य प्रेमी उपस्थित होकर कालजई रचनाकार एवं कथा सम्राट मुंशी प्रेमचन्द की कृतियों को याद किए।

Comments

Popular posts from this blog

चुनाव आयोग विलम्ब से वोटिंग प्रतिशत बताया! वोटरों की संख्या क्यों नहीं बताते?

शिवहर में आनंद मोहन भाजपा विधायक जायसवाल को तू कहने पर जायसवाल भड़के !

पूर्व मुखिया उदय शंकर यादव पंचतत्व में हुए विलीन !