नीतीश सरकार की दागी चेहरा शौचालय घोटाला पार्ट 2
बिहार सरकार ने साल 2013 में तय किया था कि शौचालय निर्माण का पैसा किसी एजेंसी के माध्यम से लाभुकों को नहीं दिया जायेगा. इसके बावजूद पीएचईडी के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिन्हा और एकाउंटेंट बिटेश्वर प्रसाद सिंह ने वर्ष 2012-13, 2013-14 और 2014-15 में पटना जिले के विभिन्न प्रखंडों में बनने वाले 10 हजार से अधिक शौचालयों का पैसा (13.66 करोड़) मई, 2016 में सीधे एजेंसी को दे दिया।
उस वक्त आनन-फानन में तीन एजेंसियों सहित कई लोगों के विभिन्न खातों में 200 से अधिक चेक काट कर डाल दिया गया. यह गबन उस वक्त किया गया, जब पीएचईडी से शौचालय निर्माण का खाता डीआरडीए में ट्रांसफर होने वाला था.
कैसे हुआ खुलासा?
पटना के डीएम संजय कुमार अग्रवाल की जांच में यह बात सामने आई है. मामले के दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी गई है और अभी भी जांच जारी है. जानकारी के मुताबिक अभी शौचालय निर्माण एजेंसी से जुड़े खातों को खंगाला जा रहा है.
इससे जुड़े और इसके माध्यम से कितने पैसे किसको ट्रांसफर किये गये, इसकी लगातार जांच हो रही है. जिस एजेंसी व एनजीओ को शौचालय निर्माण के लिए पैसे का भुगतान किया गया है, इसका कहीं कोई प्रूफ नहीं मिला है. इसके अलावा पीएचईडी में भी इन एजेंसियों से संबंधित कोई कागजात भी नहीं है. बताया गया कि पैसों की रिकवरी के लिए आरोपितों के मकान, जमीन व अन्य संपत्ति जब्त की जायेगी.
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