अब सीनेट नहीं, सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के विकास योजनाएं तय की जाएंगी।
राज्य सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों और अंगीभूत महाविद्यालयों में वित्तीय प्रबंधन और योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब सीनेट नहीं, सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के विकास योजनाएं तय की जाएंगी। इसके लिए सरकार ने योजनाएं तय करने की प्रक्रिया बदल ली है।
नई प्रक्रिया के तहत निर्माण कार्य, जीर्णोद्धार एवं विकास कार्यों के लिए सरकार ने तीन कमेटी गठित की है। योजना के चयन एवं कार्यान्वयन की अनुशंसा के अधिकार नवगठित कमेटियों को सौंपा दिया गया है। इससे पहले विश्वविद्यालय के स्तर पर योजनाएं तय होती थीं और राशि की मांग सरकार से की जाती थीं।
विश्यविद्यालय में मचेगी खलबली
माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से राज्य के विश्वविद्यालयों में खलबली मचेगी। क्योंकि, योजनाएं तय करने, उसके लिए बजट बनाने और कार्यान्वयन कराने का अधिकार विश्वविद्यालयों से छीन गया है। शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव के आदेश के मुताबिक राज्य के विश्वविद्यालयों के लिए नई योजना के चयन एवं अनुशंसा के लिए अब राज्य मुख्यालय स्तर पर कमेटी गठित की गई है।
इसके अध्यक्ष शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव या सचिव होंगे। संयोजक सदस्य उच्च शिक्षा निदेशक होंगे। कमेटी के सदस्यों में संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव एवं बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचनाविकास निगम (बीएसईआइडीसी) के मुख्य अभियंता या अधीक्षण अभियंता होंगे।
शिक्षा विभाग की कमेटी करेगी योजना का चयन व अनुशंसा
राज्य के विश्वविद्यालयों के नई योजना हो या जीर्णोद्धार योजना, इसका चयन एवं अनुशंसा के लिए शिक्षा विभाग के सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी करेगी। इस कमेटी के संयोजक सदस्य उच्च शिक्षा निदेशक बनाए गए हैं। जबकि कमेटी के सदस्य में संबंधित विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं बीएसईआइडीसी के मुख्य अभियंता या अधीक्षण अभियंता शामिल किए गए हैं।
प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध होगी राशि
शिक्षा विभाग ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि तय प्राथमिकता सूची के आधार पर ही प्रत्येक वर्ष विश्वविद्यालयों व अंगीभूत महाविद्यालयों को राशि उपलब्ध करायी जाएगी। अंगीभूत महाविद्यालयों से संबंधित प्रस्ताव जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष रखे जाएंगे।
विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों द्वारा आंतरिक स्त्रोत में उपलब्ध राशि, जनप्रतिनिधियों या किसी अन्य माध्यम या राज्य सरकार से प्राप्त अनुदान राशि से क्रियान्वित की जाएगी। एक बार अनुशंसित योजनाओं के पूरा होने के बाद ही दूसरी योजनाएं ली जाएंगी। सरकारी अनुदान से क्रियान्वित होने वाली योजनाओं का कार्यान्वयन बीएसईआइडीसी के स्तर
पर होगा। जिन संस्थानों में असैनिक अभियंत्रण कोषांग की सुविधा नहीं है, वे 50 लाख रुपये तक की असैनिक योजनाओं के क्रियान्वयन जिलास्तरीय अभियंत्रण कोषांग और इससे ऊपर की योजनाओं के लिए बीएसईआइडीसी के अभियंत्रण कोषांग से सहायता प्राप्त करेंगे।
अनुशंसित योजनाओं के बारे में पोर्टल पर दी जाएगी जानकारी
शिक्षा विभाग के आदेश के मुताबिक विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों द्वारा प्राथमिकता सूची के अनुरूप योजनाओं को कमेटी के समक्ष रखा जाएगा। कमेटी के समक्ष यह स्पष्ट किया जाएगा कि किन योजनाओं का क्रियान्वयन उसके आंतरिक स्त्रोत से किया जाएगा तथा किन योजनाओं के लिए सरकार से अनुदान की आवश्यकता पड़ेगी। कमेटी की अनुशंसा के बाद उन योजनाओं को जिला शिक्षा पदाधिकारी शिक्षा विभागीय पोर्टल पर आनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा।
कालेजाें के विकास को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी
अंगीभूत महाविद्यालयों में विकास योजनाओं का निर्धारण व क्रियान्वयन जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी। इसके संयोजक जिला शिक्षा पदाधिकारी होंगे। संबंधित महाविद्यालय के प्राचार्य, भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता या जिलाधिकारी द्वारा नामित कार्यपालक अभियंता एवं संबंधित विश्वविद्यालय प्रतिनिधि इसके सदस्य होंगे। कमेटी की बैठक आवश्यकतानुसार होगी।
बैठक में विश्वविद्यालय-महाविद्यालय द्वारा उनके आंतरिक समिति से असैनिक कार्य एवं उपस्कर-पुस्तक आदि के क्रय हेतु न्यूनतम आवश्यकता आधारित प्राथमिकता सूची तैयार की जायेगी।
शिक्षा विभाग की कमेटी करेगी योजना का चयन व अनुशंसा
राज्य के विश्वविद्यालयों के नई योजना हो या जीर्णोद्धार योजना, इसका चयन एवं अनुशंसा के लिए शिक्षा विभाग के सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी करेगी। इस कमेटी के संयोजक सदस्य उच्च शिक्षा निदेशक बनाए गए हैं। जबकि कमेटी के सदस्य में संबंधित विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं बीएसईआइडीसी के मुख्य अभियंता या अधीक्षण अभियंता शामिल किए गए हैं.
स्रोत -वेव
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