मित्र स्व सुबोध कुमार की बच्चीयों की दयनीय स्थिति देखकर मन में वेदना है।
मित्र की पुत्रियों की अधिकार के लिए मैं कई बार दानापुर मंडल के वरीय कार्मिक अधिकारी श्री अशोक कुमार जी से कई बार मिला और इस मामले को सरासरी निगाहों से देखने का आग्रह किया। श्रीमान मेरे आग्रह को गम्भीरता से लिये और पूरे फाइल को देखे ।सम्बंधित डीलिंग कर्मचारियों, वेलफेयर इंस्पेक्टर को बुला कर सघन जांच कर दोनों बच्चीयों को पेंशन का आदेश दिए और वयस्क होने पर एक बच्ची को नॉकरी का प्रवधान पास किये। बच्चीयों की गार्जियनशिप सर्टिफिकेट नहीं प्रस्तुत करने से ये लोग अभी आर्थिक लाभ से वंचित हैं।जैसे ही उक्त सर्टिफिकेट कार्यालय में जमा हो जाएगा ,हर माह पेंशन शुरू हो जाएगा और पहले की राशि भी मिल जाएगी।
मामला कहाँ बिगड़ा ?
सुबोध पूर्व में एक शादी किया था लेकिन शादी बाद पता चला कि लड़की कमर से विकलांग है तो दोंनो अलग हो गए इसके बदले सुबोध पत्नी को 7-8 लाख रुपये दिया।मामला कोर्ट तक गया लेकिन शादी विच्छेद कानून रूप से नही हुआ।इस बीच सुबोध दूसरी शादी कर लिया लेकिन वो पत्नी मर गयी जिससे अभी ये दोनों बच्ची है।पहली पत्नी जीवित है लेकिन उससे कोई संतान नही है।पहली पत्नी दावा ठोक दी तो रेलवे उसे आधा पेंशन दे रही है और मृत्यु के बाद राशि भुगतान की गई। रेलवे अपने नियम कानून के तहत ठीक है लेकिन ये बात दोनों बच्चीयों के मामा को नागवार गुजरा और रेलवे के खिलाफ वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालने लगे।यानी बना हुआ काम बिगाड़ने में लग गए।मैं इनके मामा व बच्चीयों को सही तथ्यों से अवगत कराया और शीघ्र सभी डोकोमेंट्स जमा करने को कहा है।
मामला इस तरह से है ।
दानापुर मंडल के बिहटा स्टेशन पर रिजर्वेशन क्लर्क थी, जिनकी बीमारियों के कारण 1 मई 2021 को मौत हो गई। इनकी पत्नी की भी मौत 13 अप्रैल 2016 में हो गयी। दो छोटी छोटी पुत्री है जिनके नाम वैष्णवी कुमारी और आराध्या कुमारी है।
ये अभी अपनी नानी घर बाढ़ में रहती है। बच्ची ने मुझे बताई की मेरे चाचा ने ही पिता जी को मार डाला, बीमारी की हालत में घर में बंद कर देते और कहीं नही दिखाते थे। मैं ऐसे आरोपों पर विश्वास नहीं करता क्योंकि छोटे भाई को भी मैं जानता हूँ और वो ऐसा नहीं कर सकता था। अब इनके पिता जी के सारे डिटेल बैंक खाता और रेलवे की कागजात इनके चाचा अमोध कुमार के पास है। नतीजा ये बचियां बेसहारा हालत में है, कोई देखने वाला, सुनने वाला नही है।दानापुर लोको कॉलोनी में रहते थे और मेरे पुराने मित्र थे। भले जाति के कुर्मी थे लेकिन दोस्ती में जाति कभी आरे नहीं आया।
एक दिन दोनो बच्ची अपने पापा का हक़ अपने चाचा से मांगने गई तो अबोध कुमार ने बोला मै कुछ नही दूंगा और दोनो बच्ची को भगा दिया। 4 साल से ज्यादा हो गये। इन दोनो बच्ची अपने नाना और नानी के यहाँ मोकामा में रहती है। इनके पापा हर सप्ताह अपनी दोनो बेटी से मिलने मोकामा आते थें और इनकी पढाई लिखाई सब करवा रहे थे। इनके पापा के मर जाने के बाद इनकी परवरिश और पढाई लिखाई मे बहुत दिक्कत हो रही है।
इनके चाचा सारी सम्पति हड़प लिये है ,ऐसा आरोप बच्ची की मामा लगाते हैं।
इन घटनाओं की जानकारी तब हुई जब मैं सुबोध कुमार के व्हाट्सएप पर गलती से मेसेज कर दिया तब उनकी बेटी मुझे बताई।
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