आइये मूर्खराज स्वागत है !

      


कुछ लोग बिना सोचे समझे किसी भी बातों में मीन मेख निकालने लगते हैं और प्रवचन ऐसा कि लगता है कि चमत्कार हो गया।कल का चोर आज का साधु,महंत ! डबल ट्रिपल कैरेक्टर में लोग जीते हैं। किसी भी बात को सीधे नहीं बोलकर जलेबी की तरह घुमाते हैं। ऐसे लोग निगेटिव इन्फॉर्मेशन ज्यादा रखते हैं और लोगों को सुनाते रहते हैं ।यह एक सामाजिक प्रदूषण है। एक प्रेरक प्रसंग को पढ़ें -

   एक   बार राजा भोज की पत्नी अपने सहेली से गपशप कर रही थी। तभी राजा चुपके से आकर दोनो की बात सुनकर बोल पड़े तो रानी ने कहा आईए मूर्खराज।।

भोज राजा परेशान तो हुए लेकिन उस दिन सभी को मूर्खराज कहने लगे।

तभी कालीदास जी भी आए उनका स्वागत भी हुआ आईए मूर्खराज।


तो कालीदास जी ने कहा


 " खादन्न गच्छामि हसन्न जल्पे गतं न शोचामि कृतं न मन्ये ।


द्वाभ्यां तृतीयो न भवामि राजन्

किं कारणं भोज भवामि मूर्खः ॥ "


हे भोज ! मैं खाते खाते जाता नहीं हूँ; हँसते हँसते बोलता नहीं हूँ; बीते हुए का शोक नहीं करता; किये हुए का अभिमान नहीं करता; दो लोग बात करते हो, तब बीच में तीसरा नहीं बनता; तो फिर किस कारण से मैं मूर्ख बना ?


तब राजा को समझ में आया कि रानी ने उन्हें मूर्खराज क्यों कहा था।


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