सूत्रधार द्वारा आयोजित दो नाटकों का हुआ मंचन।
खगौल ! सर्वप्रथम द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का श्री गणेश किया गया।
द्वीप प्रज्वलित समय उद्घोषक प्रो प्रसिद्ध यादव ने
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा। शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।।
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।
मन्त्र को जाप किया।
*हद से ज्यादा जी हुजूरी है घातक*
*माधो को मजदूरी के बदले मिली मौत*
*नाटक मिट्टी का माधो देख भावविभोर हुए दर्शक*
*नाटक "मिट्टी का माधव" एवं "यमराज ऑन अर्थ" का हुआ मंचन*।
हृद से ज्यादा किसी की जी हुजूरी करना भी घातक होता है। समय आने पर इंसान अपनों को भी अपने से दूर फेंकने में देर नहीं करता। और समय आने पर उसकी हत्या करने में भी संकोच नहीं होता। गरीबी का फायदा उठाने वाले मालिक भी अपने नौकरों का शोषण जीवन भर करते रहते हैं। जब नौकरों के अपने मालिकों के प्रति विद्रोह के स्वर समुख उठता है तो उसके साथ कई जिंदगी भी बर्बाद हो उठती है। कुछ ऐसे संवाद रविवार को पूर्व मध्य रेलवे सीनियर सेकेंडरी स्कूल के मंच पर सुनने को मिल रहा था। अवसर था संगीत नाटक अकादमी,नई दिल्ली के सहयोग से सूत्रधार संस्था के बैनर तले उदय कुमार लिखित एवं नवाब आलम द्वारा निर्देशित नाटक 'मिट्टी का माधो' के मंचन का। कलाकारों ने अपने अभिनय एवं भाव भंगिमा से मजदूरों की कहानी को बयां कर दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। गांव का मजदूर माधो मालिकों की सेवा करने में तत्पर रहता है। माधो के बाप-दादा भी मालिकों की जी-हुजूरी करते हुए अपने जिंदगी को गुजारा था। माधो मालिक का ऐसा अंधा भक्त जिसे मालिक की सेवा करने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं आता। मालिक के घर गाय-बैल की सेवा करने के बाद माधो मालिक की सेवा कर अपने आप को धन्य समझता है। बचपन का माधो समय के साथ बड़ा हो जाता है। माधो के लिए मालिक ही उसका भगवान होता है। बड़े होते ही माधो की शादी हो जाती है। दुल्हन की बातों का असर माधो के ऊपर होता है और वह मालिक से अलग होकर अपनी जिंदगी को नई दिशा देना चाहता है। माधो में आए परिवर्तन को देखकर उसका मालिक आश्चर्य में पड़ जाता है और अपने मूल स्वरूप में वापस लौटने की जिद करता है। मालिक अपनी असफलता को देख माधो से उसकी पत्नी का मांग करता है। जिसे सुन माधो मालिक के प्रति विरोध के स्वर फूंक देता है। मंच पर अंबुज कुमार,अनिल कुमार सिंह, संजय पाल ,शगुन श्रीवास्तव, लवली श्रीवास्तव,बिरेन्द्र कुमार ओझा, साधना श्रीवास्तव, शालिनी श्रीवास्तव، आदि कलाकारों ने अपनी उम्दा अभिनया से दर्शकों को बांधे रखा और वाहवाही लूटी, वहीं मंच से परे कलाकारों में राजेश कुमार , प्रमोद कुमार, मो. राशिद (मंच सामग्री), आसिफ हसन(प्रकाश व्यवस्था) आदर्श कुमार शूभम, सैफ अली,अंजुम इमाम, मो जुनैद आदि का सहयोग रहा।
नाट्य संध्या की दूसरी प्रस्तुति "यमराज ऑन अर्थ" निर्देशक (रामनारायण पाठक ) रही जिसमे पूर्व मध्य रेलवे सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों ने अपनी प्रतिभा दिखाई। 21 दिवसीय नाट्य कार्यशाला में यह नाटक तैयार किया गया था। नाट्य संध्या का उद्घाटन प्रसिद्ध समाजसेवी दीनानाथ प्रसाद यादव,(उद्घाटनकर्ता) प्राचार्य, ज्ञानेश्वर (मुख्य अतिथि) कला प्रेमी अजय कुमार, इंजीनियर आफताब आलम ने संयुक्त रूप से किया।
आगत अतिथियों का स्वागत वरिष्ठ रंग निर्देशक एवं संस्था के महासचिव नवाब आलम ने किया तथा मंच संचालन प्रो. प्रसिद्ध यादव एवं धन्यवाद ज्ञापन अस्तानंद सिंह ने किया।
मौके पर समाजसेवी चंदू प्रिंस, मो सदीक, विनोद शंकर मिश्र,राम नारायण पाठक, पुष्पा कुमारी, मोहन पासवान ,लक्ष्मी पासवान , आशुतोष श्रीवास्तव ,राकेश रंजन, अधिवक्ता
आलोक कुमार,अमन, विष्णु गुप्ता आदि भी उपस्थित थे।
Comments
Post a Comment