स्मार्ट मीटर के साथ स्मार्ट ट्रांसफार्मर, पोल तार क्यों नहीं !

 



3200 बार  एलिएडी ब्लिंक करता है तो 1 यूनिट बिजली ख़पत होता है ।इसी को यूनिट के रूप में कैलकुलेट किया जाता है जो लगातार ब्लिंक करता रहता है। इस एलिएडी मे जलने वाली बती को खर्च उपभोक्ता क्यों दें?यह अहम सवाल है।एक्सपर्ट की माने तो हर 10 स्मार्ट मीटर में 1मीटर में गलती की संभावना रहती है यानी 10  फ़ीसदी की एरर है, जिसे हर हाल में ठीक करना चाहिए। अडानी सहित 7 कम्पनियां बिहार में स्मार्ट मीटर लगा रही है।यह प्री पेड मोबाइल की तरह रिचार्ज होता है।रिचार्ज तीन सर्वर से होकर गुजरता है ।पहला यूपीआई, मीटर का सर्वर  और मीटर का सीम नेटवर्क ।   सरकार ने स्मार्ट मीटर लगा दिए लेकिन बिजली कटौती अब भी हो रही है।। बिजली के ट्रांसफार्मर और तार जर्जर हैं। इन्हें भी स्मार्ट करना चाहिए, ।     स्मार्ट मीटर से बिहार सरकार की इनकम बढ़ गई है। पिछले वित्तीय साल में ऊर्जा कंपनी ने 1,852 करोड़ रुपए की अधिक वसूली की थी। इससे पहले 15,107 करोड़ आया था। 2019-20 में यह रेवेन्यू कलेक्शन 8,598 करोड़ रूपया था।
पिछले 4 साल में रिवेन्यू कलेक्शन का आंकड़ा 14.3 फ़ीसदी की दर से बढ़ा है। जबकि इस दौरान कंज्यूमर का औसत वृद्धि 6.9 प्रतिशत है। साल 2019-20 में ऊर्जा कंपनियों को 35.12 प्रतिशत का नुकसान था। लेकिन, स्मार्ट प्रीपेड मीटर से 2023-24 में 21.74 प्रतिशत रह गया है।
     बिहार में लगभग दो करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं। इसमें 8 फीसदी, मात्र 16 लाख कॉमर्शियल कंज्यूमर हैं। 92 फीसदी (1 करोड़ 84 लाख) उपभोक्ता घरेलू उपभोक्ता हैं। बिहार के शहरी क्षेत्र में 23.50 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जाने का लक्ष्य है। 75 फीसदी टारगेट पूरा हो गया है।
25 फीसदी घरों में अभी भी डिजिटल मीटर लगे हैं। शहरी क्षेत्र के बाद गांव में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का काम शुरू हुआ था। गांव में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं। गांवों के घरों में 1.48 करोड़ मीटर लगाए जाने हैं। फिलहाल, ग्रामीण इलाकों में 31.15 लाख मीटर लगाए गए हैं।

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