युगपुरुष मनमोहन सिंह को राजघाट पर दो ग़ज़ ज़मीन भी मयस्सर नहीं हुआ।
आम आदमी की तरह रहने वाले महान अर्थशास्त्री ,कुशल प्रशासक, राजनेता मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार आम आदमी की जगह निगम बोध घाट पर ही किया गया। घर वाले सरकार से अर्जी लगाई कि जहां सिंह का अंतिम संस्कार होगा ,वही स्मारक बनेगा। केंद्र सरकार ने कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पारित होने की बात कहकर टाल दिया गया। कॉंग्रेस की तरफ से शक्ति स्थल के पास अंतिम संस्कार करने के लिए व स्मारक बनाने के लिए आग्रह किया, लेकिन ऐसा नहीं हो सका जो दुर्भाग्यपूर्ण है। मनमोहन सिंह जैसा शालीन,मृदुभाषी, उदार ,विद्वान होना दुर्लभ है। यह नश्वर शरीर सबको एक दिन त्यागना है फिर किसी से भेदभाव उचित नहीं है। सिंह के लिए देश दुनिया शोकाकुल हैं । इनकी कुशाग्र बुद्धि का नतीजा है कि भारत की डूबती अर्थव्यवस्था दुनिया में अपना सम्मानजनक स्थान बनाया है।आज भारतीय अर्थव्यवस्था का हाल बुरा है । कोई है मनमोहन सिंह जी ऐसा जो डूबती नैया पार कर दे !
बड़े बड़े लच्छेदार भाषण देने वाले बहुत हुए लेकिन सरजमीं पर काम वाले बहुत कम होते हैं।
Comments
Post a Comment