आजाद गांधी राजद छोड़ दूसरे के घर में लेंगे आश्रय !

   


 पहले भी राजद छोड़ जदयू ,जदयू छोड़ कॉंग्रेस, कॉंग्रेस छोड़ पुनः राजद में आये थे और यहां से राजद की टिकट पर पटना स्नातक की चुनाव लड़े थे। अब 35 साल से राजद में निष्ठा के साथ कैसे रहे ।यह समझ से परे है।

मुबारक हो ज़नाब ! जिस मकसद से दलों की परिक्रमा कर रहे हैं ।आप अपने मंसूबे में सफल हों ।यही कामना करता हूँ।

   पूर्व विधान पार्षद ने पार्टी से अपने इस्तीफे को लेकर लालू प्रसाद को चिट्ठी लिखी है। जिसमें पार्टी की वर्तमान स्थिति का पूरा चिट्ठा उन्होंने खोलकर रख दिया है। आजाद गांधी ने अपने चिट्ठी में लिखा है कि            

मैं आजाद गाँधी जो अतिपिछड़ा वर्ग से नाई जाति समाज का बेटा हूँ करीब 35 वर्षो से आपकी पार्टी में एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह काम कर रहा हूँ। आपके अर्शीबचन से एक बार विधान पार्षद में चुनाव जीत कर पार्टी के मूल्यों, सिधान्तों को विधान परिषद् में उठाता रहा, राजद कार्यकर्ता के रूप में कार्य करता रहा। पार्टी पर से आपकी कमान ढीला होते ही राष्ट्रीय जनता दल के हर एक स्तर पर अतिपिछड़ों के साथ घोर अनदेखी शुरू हो गया। जो अब भी जारी है ना ही सांगठनिक ढाचों में और ना ही 17 माह के महागठबंधन के सरकार में अति पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ताओं को सत्ता में हिस्सेदारी देने में बिफल रही, अति पिछड़ों को आवादी के अनुकूल ना हीं लोक सभा में टिकट दिया गया। ना हीं राज्य सभा, एवं विधान परिषद् में अति पिछड़ों की उचित भागीदारी नहीं मिली है।  जननायक कर्पूरी ठाकुर एवं लालू प्रसाद यानि आपके अनुयाईयों  को भी पार्टी में तथा सरकार में उपेक्षा की गयी है, जो आज भी पार्टी संगठन में अतिपिछड़ा वर्ग के लोगों को हाशिए पर रखा जाता है।


 पार्टी के पुराने एवं समर्पित कार्यकर्ताओं को किस प्रकार पार्टी से निकाल फेंका जाये इस पर काम जोरो से चल रही है क्यूंकि पार्टी की कमान ना आपके हाथों में है, ना ही तेजस्वी जी के हाथों में है पुरी कमान हरियाणा एवं दिल्ली के लोगों के हाथों में है। पुराने कार्यकर्ताओं जिसने पार्टी को बनाया एवं सीचा वैसे कार्यकर्ताओं को कहा जा रहा है की पार्टी में रहना है तो मूकदर्शक बन के रहो अन्यथा पार्टी छोड़ कर चले जाओ। अगर पार्टी छोड़ कर नहीं गये तो पार्टी से निष्काषित कर दिये जाओगे। पार्टी के कार्यकर्त्ता तन-मन-धन लगा कर काम करते हैं। परन्तु टिकट के समय पूंजी-पतियों को खोजा जाता है, सत्ता में आने के बाद ऐसे-ऐसे लोग आ कर सत्तारूढ़ हो जाते है, जिनकी पार्टी में ना कोई उपलब्धि रहती है ना कोई पार्टी का कार्य किए हुए हैं। 


आप और तेजस्वी जी कहते है कि परिक्रमा करने वाले को कुछ नहीं मिलेगा। परन्तु होता है उल्टा। आज पार्टी कार्यालय से लेकर 10 सर्कुलर रोड तक स्थिति ऐसी है कि आपको छोड़ कर कोई कार्यकर्ताओं का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है। नेता प्रतिपक्ष से मिलने के लिए ठण्ड की रातों में इन्तजार कर के लोग घर लौट जा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी जी के अगल-बगल रहने वाले (हरियाणा, दिल्ली गैंग) ऐसे लोग ही निर्णय कर रहे हैं जिसे बिहार के लोगों से कोई मतलब नहीं है।


 वही पार्टी के प्रदेश कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा जिस प्रकार पार्टी के कार्यकर्ताओं को अपमानित करते है जिसके के कारण आज पार्टी कार्यालय में दलित अतिपिछड़ा समाज के कार्यकर्त्ता कार्यलय से दुरी बना लिए है ऐसा लग रहा है की पार्टी को भीड़ से नफरत हो गयी है। परन्तु आपको मालूम है जब राजनीत में भीड़ आपको छोड़ कर जिस दिन चली जाऐगी फिर वापस बुलाने पर भी नहीं आएगी और आप हाथ मलते रह जाएंगे पार्टी सामाजिक न्याय के रास्ते से भटक गई है, कपडा, ब्रेसलेट, सोने का हार देखर तेजस्वी जी लोगों से मिलते हैं।


 कई बार आपसे एवं तेजस्वी जी कहा लेकिन ऐसा लगता है कि पार्टी में अतिपिछड़े वर्ग के लोगों को सुनने वाला कोई नहीं है। आपकी गलत नीतियों और समाजबाद के रास्ते से भटक कर नेताओं के परिवार बाद के चंगुल में पार्टी फंस कर पिछले उपचुनाव भी हार चुकी है। पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं आज टिकट के आश में टकटकी लगाए हुए हैं  और अपने को उपेक्षीत मह्सुस कर रही है। पार्टी आन्दोलन के रास्ते से भटक गयी है सिर्फ टेबुल टॉक के जरीए राजनीत हो रही है |


ऐसी स्थिति में पार्टी में घुटन महसूस कर रहा हूँ। इन परिस्थितियों को देखते हुए पार्टी के तमाम पदों के साथ दल के प्राथमिक सदस्य से त्याग पत्र दे रहा हूँ।


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