दानापुर रेल मंडल मनाया शताब्दी वर्ष । इस समारोह का मैं भी साक्षी रहा।- प्रो प्रसिद्ध कुमार।
सामाजिक आर्थिक उत्थान का केंद्र बना। मेरे पिता जी और दोनों चाचा दानापुर रेल मंडल के दानापुर में ही कार्यरत थे।अभी एक भाई व पुत्र भी दानापुर में ही रेलवे में कार्यरत हैं।मेरे गांव के 10 0 से अधिक लोग दानापुर रेलवे में ही कार्यरत थे । आसपास के दर्जनों गांवों के लोग इसी रेलवे में नॉकरी कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किये थे। आज भी इस क्षेत्र के लोगों को पहली पसंद रेलवे की नॉकरी ही है।दानापुर के आसपास क्षेत्रों के हजारों परिवारों को यह रेलवे कायाकल्प किया है। दानापुर कैंटोनमेंट होने के कारण दानापुर मंडल होने का सौभाग्य रहा होगा। बगल के बिहटा चीनी मिल भी रेल नेटवर्क से जुड़ा हुआ था।
रेल मंडल के निर्माण में आसपास के गांवों जमालुद्दीन चक ,लखनी बीघा ,दल्लूचक ,रामपुर ,गाड़ीखाना ,मखदुमपुर आदि गांवों के किसानों के जमीन अधिग्रहण में चले गए थे । मंडल बनने से आसपास के गांवों के लोगों को रोजगार मिला। दानापुर मंडल का जोनल मुख्यालय कलकत्ता था इसके कारण यहाँ बंगाली अधिकारियों का आगमन शुरू हुआ।यही नही चेन्नई ,बंगलौर आदि नगरों के अधिकारी यहाँ पदस्थापित होने लगे। उनके रहन सहन ,संस्कृति का असर यहां के लोगों पर पड़ा । शिक्षा का भी असर यहां पड़ा। स्थानीय लोग कम ही अधिकारी होते थे। क्लास 4 व 3 में अधिक लोग कार्यरत थे। रेलवे की यात्रा ,अस्पताल की सुविधाएं से लोग वाकिफ़ हुए और वो अजूबा से कम न था। बिजली,बिल्डिंग ,पक्की सड़क के दर्शन दानापुर में होता था । दानापुर को मिनी पटना समझा जाता था । पहनावा - ओढावा ,खान पान भी लोगों को बदला। रेलकर्मियों के रेलवे का क्वाटर मिलने से लोगों को नागरीय जीवन जीने का अहसास हुआ । दुर्गा पूजा, विश्वकर्मा पूजा से लोग करीब से जाने।
इसके नकरात्मक असर भी अपराध के रूप में देखने को मिला ।80 के दशक में दानापुर ,खगौल अपराध की दुनिया में एशिया में शीर्ष पर था। लोको गेट ,अस्पताल ,डीआरएम ऑफिस , दल्लूचक ,गाड़ीखाना ,लखनी बीघा ,जमालुद्दीन चक ,सरारी ,कोठवां आदि क्षेत्र अपराध की गिरफ्त में आने से भय का माहौल बना रहता था । समय के साथ बदलाव आया और आज एक एजुकेशन हब के रूप में जाना जाता है। दिल्ली-कोलकाता मेन लाइन से पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (मुगलसराय) और पटना मार्ग के माध्यम से भारत के महानगरीय क्षेत्रों से जोड़ने वाला दानापुर स्टेशन कल सौ वर्ष का हो जायेगा. इस रेल मंडल की स्थापना एक जनवरी, 1925 को हुई थी. अपने 100 साल का सफर पूरा करने के बाद दानापुर रेल मंडल की ओर से 31 जनवरी 2025 को शताब्दी समारोह मनाई गई।। इस मौके पर दानापुर रेल मंडल की पुरानी व ऐतिहासिक अभिलेखीय दस्तावेजों, तस्वीरों और रेलवे कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगी । प्रदर्शनी में आरा सासाराम छोटी लाईन व फतुहां इस्लामपुर छोटी लाइन को दिखाया गया है। स्टीम इंजन ,डीजल इंजन ,सहित पेरंबूर के कोच निर्माण फैक्ट्री को भी दिखाया गया है।
दानापुर के पहले मंडल अधीक्षक थे सी आयर्स
मिली जानकारी के अनुसार दानापुर के पहले मंडल अधीक्षक सी आयर्स थे, जिन्होंने 1 जनवरी, 1925 को कार्यभार संभाला था. उत्तराधिकार बोर्ड पर प्रदर्शित जानकारी के अनुसार 1980 के दशक के बाद इस पद का नाम बदल कर मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) कर दिया गया. रेलवे विशेषज्ञों और कुछ अभिलेखों के अनुसार दानापुर (पूर्व में दीनापुर) रेलवे स्टेशन का निर्माण 1860 के दशक में हुआ था. साथ ही पटना सिटी में स्थित पुराने पटना स्टेशन (अब पटना साहिब स्टेशन) और हावड़ा-दिल्ली लाइन पर तत्कालीन बांकीपुर स्टेशन (जो काफी बाद में निर्मित वर्तमान पटना जंक्शन के स्थल के निकट है) का निर्माण भी इसी समय हुआ था.
दानापुर से झाझा व कुचमन तक फैला है यह मंडल
एडीआरएम ने बताया कि इस लाइन के एक हिस्से पर स्थित फतुहा, बख्तियारपुर, बाढ़, मोकामा, गुलजारबाग और बिहटा के पुराने स्टेशन, जो दानापुर डिवीजन की सीमा में आते हैं. वर्तमान दानापुर डिवीजन झाझा से कुचमन तक रेल नेटवर्क में फैला हुआ है. इस मंडल के सबसे बड़े स्टेशनों में पटना जंक्शन शामिल है, जो बिहार का भी सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है. इसके अलावा राजेंद्र नगर टर्मिनल, दानापुर और पाटलिपुत्र स्टेशन के अलावा आरा, बक्सर और पटना साहिब स्टेशन प्रमुख हैं. एक समय में मुगलसराय रेल नेटवर्क भी इसका हिस्सा था, लेकिन बाद के दशकों में इसे आजादी के बाद एक अलग डिवीजन बना दिया गया. कुछ साल पहले पटना साहिब स्टेशन के पुनर्विकास तक, इसकी इमारत की एक दीवार पर लगी पटना 1861 वाली पट्टिका प्लेटफॉर्म से दिखाई देती थी.
दानापुर मंडल में वंदे भारत, तेजस समेत सभी प्रमुख ट्रेनों का परिचालन किया जाता है.
रोजाना करीब पांच से छह लाख यात्री पैसेंजर ट्रेन व 1.20 लाख यात्री रिजर्वेशन टिकट लेकर सफर करते हैं।
दीनापुर से दानापुर मंडल तक का सफर हम सभी लोगों के लिए एक गौरव की बात है. . दानापुर मंडल का इतिहास काफी सराहनीय है. वर्तमान में यात्रियों की सुरक्षा व संरक्षा के साथ सफर सुहाना बनाने में रेलवे लगातार काम कर रहा है. यही वजह है कि दानापुर मंडल में तेजी से विकास कार्य किये जा रहे हैं. वंदे भारत, तेजस राजधानी, संपूर्ण क्रांति, दुरंतो समेत कई प्रमुख ट्रेनों का परिचालन दानापुर मंडल के सबसे बड़े स्टेशन में शामिल पटना जंक्शन से किया जा रहा है. आने वाले समय में दानापुर मंडल की ख्याति और बढ़ने जा रही है, इस दिशा में रेलवे की ओर से तेजी से विकास कार्य किये जा रहे हैं.
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