सुध बिसरा गयो मेरी रे । शोक -शांति सभा में नीतीश दे ताली ।
ठोको ताली सिद्धू की प्रचलित कहावत है । कब कहाँ ताली बजाना है और कहां नहीं ,सामान्य व्यक्ति भी जनता है। हर्ष ,विषाद में व्यक्ति के भाव भंगिमा किस तरह की होनी चाहिए ? यह सामान्य बात है। जानवर भी भाव और परिस्थितियों के अनुसार अपनी मनोदशा को रखते हैं। मा नीतीश कुमार कोई जानबूझकर या बापू को अपमानित करने के लिए भी नहीं किये हैं या ऐसा भी नही है कि इसकी समझ उनकी नहीं है ? इसके बावजूद लगातार उनकी ऐसी हरकतें चिंता का विषय है । नीतीश कुमार फिर से अजीबोगरीब हरकत के लिए चर्चा में हैं। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उन्होंने कथित तौर पर 2 मिनट के मौन के बाद ताली बजाने लगे। तभी उनके बगल में खड़े बिहार विधानसभा के स्पीकर नंद किशोर यादव ने उन्हें ऐसा करने से रोका। किसी भी बीमारी को छुपाने से बीमारी और बढ़ती ही जाती है। इसलिए नीतीश जी को अविलंब किसी चिकित्सक से मिलकर इलायज करवाना चाहिए।
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