पूर्व मुखिया उदय शंकर यादव पंचतत्व में हुए विलीन !
जाने चले जाते हैं कहाँ, दुनिया से जानेवाले, जाने चले जाते हैं कहाँ
कैसे ढूंढे कोई उनको, नहीं कदमों के भी निशां
कौन नगरिया, आये जाये खत ना खबरिया
आये जब जब उनकी यादें, आये होठों पे फ़रियादें
जाके फिर ना आने वाले जाने चले जाते हैं कहाँ ...
मुकेश के गाये फ़िल्म पुष्पांजलि में गीतकार आनंद बक्शी की गीत आज बरबस याद आ गई !
उदय मुखिया बेहद ही गरीब परिवार से आते थे ,लेकिन सामाजिक न्याय लड़ाई सरजमीं पर खूब लड़े। इनके बचपन के साथी पूर्व विधायक बिजेंद्र गोप के निधन के बाद इन्होंने ही क्षेत्र में सामाजिक रूप से किसी भी गड़बड़ी को ठीक करते थे । यही कारण है कि क्षेत्र में इनकी लोकप्रियता आजीवन कायम रही। 2005 के मुखिया के चुनाव में यादव ,मुस्लिम अनुसूचित जाति के लोगों के साथ मौर्य विहार व भगवतीपुर के भूमिहार जाति के लोगों ने भरपूर आशीर्वाद दिया था।नतीजा, भारी मतों से विजयी हुए थे। राजद से इनका गहरा संबंध था,लेकिन स्थानीय विधायक को छोड़कर कोई भी राजद के वरीय नेता अंतिम संस्कार में नहीं शामिल हुए। सूत्रधार के साथ आजीवन जुड़े रहे ।
जमालुद्दीन चक पंचायत के पूर्व मुखिया उदय शंकर यादव दीघा जनार्दन घाट पर पंचतत्व में विलीन हो गए। अंतिम संस्कार के समय स्थानीय विधायक रीतलाल राय , पूर्व मंत्री श्याम रजक अधिवक्ता ,चर्चित रंगकर्मी नवाब आलम ,जिला पार्षद दीपक मांझी , रविन्द्र राय सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। पूर्व सांसद रामकृपाल यादव,भाजपा नेता सनोज यादव रात में ही मुखिया जी के घर जाकर परिवार को सांत्वना दिए। पत्रकार प्रो प्रसिद्ध यादव ने भी गहरी संवेदना व्यक्त की है।
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