भ्रष्टाचार के खिलाफ सीना तानकर लड़ें। जगे देश की क्या पहचान! पढ़ा लिखा जागरूक इंसान।

 

 



भ्रष्टाचार लोकतंत्र का नासूर बन गया है। भ्रष्टाचारी चाहे कितना भी ताकतवर क्यों न हो, उससे डरे नहीं । जब आप उस पर प्रहार करेंगे तो शुरू में आपको हर तरह से तोड़ने की कोशिश करेगा लेकिन जब आप अडिग होकर लड़ेंगे तो उसका सुखद परिणाम आना तय है।
भ्रष्टाचार (Corruption) एक ऐसा अपराध है, जो हमारे देश को सामाजिक और आर्थिक रुप से बहुत नुकसान पहुँचाता है। कुछ लोग अपनी नाम व ताकत का गलत इस्तेमाल करके ऐसे अपराधों को बढ़ावा देते है, जिसके कारण देश के गरीब लोगों के साथ बहुत ही अन्याय होता है। आज यह समस्या इतनी बढ़ गई है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासन, और न्याय व्यवस्था जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं से जुड़े लोग भी भ्रष्ट हो गए है। जब तक हम इस समस्या को समझ नहीं पाएंगे, तब तक हम इसके खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ सकते। इसलिए आज के लेख द्वारा हम इस विषय से जुडी पूरी जानकारी आपको देंगे जैसे कि भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून और भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज करने के कानूनी विकल्प क्या है? भ्रष्टाचार के अपराध में मिलने वाली सजा व कानूनी प्रावधान है।
हर दिन हमें ऐसी खबरें देखने और सुनने को मिलती हैं जहां किसी सरकारी कर्मचारी ने रिश्वत ली, किसी ठेकेदार ने विकास परियोजनाओं में धोखाधड़ी की, या किसी उच्च अधिकारी ने अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल किया। इस आर्टिकल में हम आपको इस अपराध से जुड़ी सभी उपयोगी जानकारियों के साथ इसके खिलाफ लड़ने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

भ्रष्टाचार एक ऐसा अपराध होता है जिसमें कोई व्यक्ति अपने पद, प्रतिष्ठा या अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल करके खुद को व किसी अन्य व्यक्ति को फायदा पहुँचाता है। सरल भाषा में इसका मतलब है, यह अपराध तब होता है जब कोई सरकारी कर्मचारी, नेता, या अन्य व्यक्ति अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके खुद के फायदे के लिए किसी गलत कार्यों को पैसे या किसी अन्य वस्तु के लालच में आकर करने की मंजूरी दे देता है।
भ्रष्टाचार के कई कारण हो सकते हैं जैसे:-
लोग अपनी ताकत का इस्तेमाल करके ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के लिए भ्रष्टाचार करते है।
लोग अपने किसी भी काम को करवाने के लिए अधिकारियों को खुद ही पैसे देते है जिससे ऐसे अपराध बढ़ते है।
ऐसे अपराध तब भी बहुत तेजी से बढ़ता है जब सरकारी लोग व व्यवस्था सही तरीके से काम नहीं करता है।
सख्त कानून व समय पर कार्यवाही ना होने के कारण ऐसे लोग बिना डरे ऐसे अपराधों करते हैं।
वैसे तो भ्रष्टाचार छोटे से लेकर पड़े सभी सरकारी व गैर-सरकारी लोगों द्वारा किया जा सकता है। लेकिन यह अपराध सबसे ज्यादा ऐसे लोगों के द्वारा किया जाता है जिनके पास कानूनी रुप से ज्यादा ताकत होती है। आइये इसके बारे में विस्तार से जानते है:-  

सरकारी विभागों  में काम करने वाले कर्मचारी  अधिकतर अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करते हैं। उन्हें किसी कार्य को पूरा करने या गलत तरीके से करने के लिए घूस यानि रिश्वत  दी जाती है जैसे - पुलिसकर्मी, क्लर्क, कलेक्टर आदि।
नेता भी अपने पद का गलत इस्तेमाल करके बढ़े- बढ़े घोटाले  करके सरकारी धन का गलत इस्तेमाल करके  फैलाते है।  
व्यापारी और ठेकेदार सरकारी ठेकों को पाने के लिए रिश्वत देते हैं ताकि उन्हें रिश्वत देकर ठेके या लाइसेंस आसानी से मिल जाएं।
शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े लोग भी ऐसे अपराधों में शामिल पाए जाते है जो इलाज या शिक्षा के लिए भी पैसे लेकर कार्य गलत कार्यों को करते है।  

पुलिस जहाँ लोग अपनी समस्या के समाधान के लिए जाते है वहाँ भी किसी केस को दबाने या झूठे मामले को बनाने के लिए पैसे लिए जाते हैं।

भ्रष्टाचार के कारण सरकारी योजनाओं  का पैसा सही जगह नहीं पहुंच पाता। इससे सड़कें, स्कूल, अस्पताल जैसी जरुरी सुविधाओं का विकास रुक जाता है।
ऐसे अपराधों के कारण गरीब लोग और अधिक गरीब होते जाते हैं। भ्रष्ट अधिकारी गरीबों के लिए बनाए गए फायदों का पैसा अपने पास रख लेते हैं।
भ्रष्ट अधिकारी और नेता अपने लिए अवैध तरीके से काला धन जमा करते हैं जिससे गरीबों को समय पर न्याय व सुविधाएं नहीं मिल पाती।
भ्रष्टाचार के कारण कानून कमजोर भी पड़ता है। भ्रष्ट अधिकारी कानून तोड़ने वालों को बचा लेते हैं और आम लोगों को सजा दी जाती है।

भ्रष्टाचार के कारण देश की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी होती है, जिससे देश का आर्थिक विकास भी रुक जाता है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ़  करने के लिए कई कानूनी अधिकार और प्रावधान मौजूद हैं,
सूचना का  अधिकार - इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति सरकारी विभागों से जानकारी मांग सकता है, और यदि उस जानकारी में भ्रष्टाचार के कोई भी सबूत मिलते हैं, तो ऐसे अपराधों को सभी के सामने लाया जा सकता है। आप RTI आवेदन ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा कर सकते हैं। RTI दर्ज कराते समय बिल्कुल साफ व स्पष्ट तरीके से यह बताना होता है कि आप किस जानकारी के लिए सूचना का अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (Prevention of Corruption Act, 1988) भारतीय कानून (Indian Law) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य Corruption को रोकना और सरकारी कर्मचारियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई करना है। यह कानून Corruption के मामलों में दोषी अधिकारियों (Guilty Officers) को दंडित करने के लिए बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत सरकारी कर्मचारियों द्वारा रिश्वत लेने, घूस देने, या किसी अन्य प्रकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम

लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013के तहत भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए संस्थाएँ बनाई गई हैं।
लोकपाल: केंद्र सरकार के अधिकारियों, मंत्रियों और कर्मचारियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जांच करता है।

लोकायुक्त: यह राज्य स्तर पर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करता है और राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करता है।
व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट
व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014 (Whistle Blowers Protection Act, 2014) का उद्देश्य उन व्यक्तियों की रक्षा करना है, जो सरकारी अधिकारियों या संस्थाओं द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जानकारी (Information) को देते है। ऐसे लोगों को आम भाषा में मुखबिर (यानि खबर देने वाला) कहा जाता है।  इस कानून के द्वारा ऐसे मामलों की शिकायत करने वाले लोगों की सुरक्षा की जाती है, ताकि वे बिना किसी डर के शिकायत कर सकें।
भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायत दर्ज करवाने की सरल प्रक्रिया
अगर आपने किसी सरकारी अधिकारी को रिश्वत (Bribe) लेते हुए या गलत काम करते हुए देखा है, तो आप उस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि आप शिकायत (Complaint) कैसे दर्ज कर सकते हैं:
केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC):

CVC (Central Vigilance Commission) केंद्रीय सरकार (Central Govt.)  के अधिकारियों के खिलाफ Corruption की शिकायतों की जांच करता है। अगर आपकी शिकायत केंद्र सरकार के किसी अधिकारी के खिलाफ है, तो आप Central Vigilance Commission  की वेबसाइट पर आपको शिकायत दर्ज कर सकते है।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (Anti Corruption Bureau):

ACB राज्य स्तर पर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करता है। आप अपने राज्य के ACB कार्यालय में जाकर या उनके ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

शिकायत दर्ज करते समय ध्यान रखें:

अपनी शिकायत में सभी जरूरी जानकारी साफ और स्पष्ट शब्दों में दें।

अगर आपके पास भ्रष्टाचार के सबूत हैं, जैसे कि रसीदें, फोटोग्राफ या वीडियो, तो उन्हें अपनी शिकायत के साथ जरुर लगाए।

शिकायत की जांच में समय लग सकता है। धैर्य रखें और जांच पूरी होने तक इंतजार करें।

आप अपनी पहचान छिपाकर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

अगर आप किसी सरकारी कार्यालय में गलत कार्य या भ्रष्ट अधिकारियों को देखते हैं, तो चुप रहने के बजाय इसकी शिकायत जरूर करें।

शिकायत दर्ज करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
आपका पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड आदि।
बैंक खाते की जानकारी यदि आपने कोई लेनदेन किया है तो।
यदि आपके पास कोई सबूत है, जैसे कि रसीदें, फोटोग्राफ, वीडियो रिकॉर्डिंग, या गवाहों के बयान, तो उन्हें अपनी शिकायत के साथ जोड़े।
इसके अलावा आपको उस अधिकारी या कार्यालय का नाम, पता, अन्य जानकारियों का पता करना होगा जिसके खिलाफ आप शिकायत दर्ज करवा रहे है।
जब किसी व्यक्ति को भ्रष्टाचार के आरोप  में पकड़ा जाता है तो उस पर कई प्रकार से कानूनी कार्यवाही कर सजा दी जा सकती है।
भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे मुख्य कानून भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अनुसार सरकारी कर्मचारियों द्वारा  करते हुए पकड़े जाने पर सख्त सजा दी जाती है।
इस कानून अनुसार यदि कोई व्यक्ति सरकारी अधिकारी को घूस  देता है या घूस लेता पाया जाता है, तो उसे सजा के तौर पर कम से कम 3 साल से लेकर 7 साल तक की सजा हो सकती है।
यदि कोई सरकारी कर्मचारी अपनी कमाई से ज्यादा संपत्ति  का मालिक पाया जाता है और यह साबित नहीं कर पाता कि उसके पास यह संपत्ति कहा से आई है तो उसे कड़ी सजा दी जा सकती है। यह सजा 7 साल तक की सजा हो सकती है।
इसके अलावा यदि कोई अधिकारी भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी  पाया जाता है तो लोकायुक्त अधिनियम के तहत उस व्यक्ति को उसके पद  से भी हटा दिया जाता है और उसे सजा भी दी जाती है।
ऐसे मामलों में दोषी को जुर्माना  भी भरने की सजा हो सकती है। भ्रष्टाचार  के मामलों में दोषी पाए गए व्यक्ति की गैर-कानूनी संपत्ति  को सरकार द्वारा जब्त  किया जा सकता है।
छोटी शिकायतों के मुकाबले बड़े भ्रष्टाचार के मामलों की जांच  में अधिक समय लग सकता है।

अगर आपके पास ठोस सबूत  हैं तो जांच जल्दी पूरी हो सकती है।
जिस संस्था में आपने शिकायत दर्ज कराई है, उसके कार्य करने के तरीके के आधार पर भी समय लग सकता है।

आमतौर पर भ्रष्ट लोगों की जांच में कुछ महीनों से लेकर कई साल तक का समय लग सकता है।
अगर आपकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही, तो आप उच्च अधिकारियों (Higher Officials) से मिल सकते हैं।

सूचना का अधिकार (RTI) के तहत आप संबंधित विभाग से यह जानकारी मांग सकते हैं कि आपकी शिकायत पर क्या कदम उठाए गए हैं।

अगर आपके पास पर्याप्त सबूत  हैं और प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा तो आप न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं

अक्सर भ्रष्ट  लोगों के खिलाफ की गई शिकायतों की जांच प्रक्रिया (Investigation Process) में बहुत देरी होती है। यही कारण है कि कई बार ऐसे मामलों में समय पर कार्यवाही नहीं हो पाती है।कई अधिकारी ऐसे मामलों को जानबूझकर लंबा खींचते हैं।

ऐसे मामलों में कानूनी प्रक्रिया बिल्कुल भी आसान नहीं होती है, जो आम नागरिक के लिए समझना और उसे पूरा करना मुश्किल हो सकता है।

बहुत से लोग यह नहीं जानते कि Corruption की शिकायत कहां और कैसे करनी चाहिए। इस कारण प्रत्येक व्यक्ति के लिए शिकायत करना मुश्किल हो जाता है।

धमकी, डर और मानसिक उत्पीड़न के कारण कई व्यक्ति शिकायत करने से डर जाते है।
यदि किसी मामले में देरी हो रही हो, तो कोर्ट में इसे चुनौती दी जा सकती है और प्रशासन को निर्देश दिया जा सकता है कि जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए।
किसी भी प्रकार की धमकी से बचने के लिए शिकायतकर्ताओ की पहचान को छिपाने के तरीकों को ध्यान में ऱखा जाना चाहिए। उनकी पहचान को सार्वजनिक  नहीं किया जाना चाहिए, ताकि वे बिना डर के अपनी शिकायत दर्ज कर सकें।

पुलिस द्वारा सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए है, खासकर उन मामलों में जिनमें किसी व्यक्ति को चोट (Injury) पहुँचाने का खतरा हो।
भारत सरकार और राज्य सरकारें ने कई ऑनलाइन शिकायत पोर्टल बनाए हुए हैं, जिन पर आप अपनी पहचान छिपाकर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, Central Vigilance Commission और लोकपाल की आधिकारिक वेबसाइट्स।
अगर आप  मुखबिर के रूप में भ्रष्ट लोगों की जानकारी दे रहे हैं, तो आपको व्हिसल ब्लोअर संरक्षण कानून के तहत सुरक्षा प्रदान की जाती है।

आप गुप्त रूप से शिकायत करके अपनी पहचान  को छिपा सकते है, जिससे आपकों किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
आप डाक के जरिए भी अपनी शिकायत भेज सकते हैं, जिसमें आप अपनी पहचान गुप्त रख सकते हैं। बस आपको अपने नाम, पते और अन्य जानकारी छिपाकर पत्र भेजना होगा।
भ्रष्टाचार का अर्थ है किसी व्यक्ति द्वारा अपने अधिकारों और कर्तव्यों का गलत तरीके से इस्तेमाल करके खुद को या किसी अन्य व्यक्ति को फायदा पहुँचाना। जैसे - घूस लेना-देना, सरकारी धन का गलत इस्तेमाल करना आदि। आप Whistle Blower Protection Act के तहत अपनी पहचान को छिपा कर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। कई सरकारी पोर्टल पहचान छिपाकर शिकायत करने के विकल्प देती है।
ऐसे मामले में गंभीरता के आधार पर जांच करने में कुछ महीने से लेकर कई साल तक का समय लग सकता है। 
लोकपाल और लोकायुक्त
ये स्वतंत्र संस्थाएं हैं जो सरकारी अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करती हैं और आवश्यक कार्रवाई करती हैं।


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