गज़ब -गज़ब के नमूने ! हास्य - प्रो प्रसिद्ध कुमार।
" यू आर प्रॉब्लम क्रिएटर " ये वाक्य मुझे एक विद्वान ने गुस्से में कही। उनका कहना भी जायज़ था और मेरा प्रॉब्लम करना भी जायज़।हम दोनों अपने जगह पर सही थे। वाक्या यह हुआ कि विद्वान साहेब तीन -तीन महिलाओं के साथ घूम रहे थे ,वो मुझे इस विहंगम दृश्य को दिखाने के लिए मुझे आवाज लगाई और काम बता दिया। एक तो युवाओं के हकमारी करने वाले और ऊपर से बेगारी ! असम्भव। मैं कमरे में चला गया जहां वो विद्वान जन को भी आना था। कमरे में भीड़ थी ,लोग बिना एक दूसरे के स्पर्श किये हुए नही आ जा रहे थे।मैं वही कुर्सी पर जा बैठा ।जब महाशय त्रि रत्नों को लेकर रूम में घुसे तो मैं अपनी लंबी टांग उनके टांग में लगा दिया।बेचारे धड़ाम से नीचे गिरते उससे पहले मैं सम्भाल लिया , क्योंकि ऐसा होगा मुझे पहले से ही पता था।संभालने के बाद मुझे और मेरे साथियों को बोले -" यू आर प्रॉब्लम क्रिएटर "। सर !मैं तो आपको बचाया है और ऊपर से उल्टे सीधे कह रहे हैं।ये थे पहले नमूने।
दूसरे नमूने - " अरे यार!तुम तो मरवा दिया ।" मैंने कहा-ऐसा भी क्या हुआ जनाब ! सच में किसी ने जोर से मार दिया क्या ? चुप रहो!उसने प्रत्युत्तर में कहा - तुम बोला कि रेलवे का पास बनवा लो । मैं बनवा लिया और आज पटना उतरे तो 500 फ़ाईन दिया टीटीई को। क्यों ? तुमने कहा था कि पीछे वाली बोगी चढ़ जाना ।मैं पीछे से एक बाद में चढ़ गया ।बस पटना स्टेशन पर उतरा गिद्ध की तरह खड़े टीटीई ने मुझे पकड़ लिया।मैं पास दिखाया।टीटीई बोला -ट्रेन की बोगी में जो लिखा हुआ है उसे पढ़ें। पूर्व मध्य रेलवे मैं पढ़ा।उसने कहा और पढ़िए।मैं पढ़ा केवल महिलाएं ,पुरुष प्रवेश निषेध ! तब टीटीई ने कहा यस !गलती समझ में आई। मैं भारी मन से फ़ाईन तुम्हारे कारण दिया।मैं पीछे चढ़ने के लिए बोला था न की महिला बोगी में। नमूने ने बताया कि मैं आज जाना कि रेलवे में महिला डब्बा भी होता है। 500 देकर अद्भुत ज्ञान मिला इसके लिए मुझे थैंक्स कहना चाहिए ,ऊपर से मुझे पर ही बरस रहे हैं।
तीसरे नमूने - मैं अबीर लेकर साहेब को लगाने चले तो उन्होंने कहा - लों .. होली मिलन! खाने के ठिकाने नहीं और अबीर।दरअसल उस खाने के लिए युद्व का आसार नजर आ रहा था।
मित्रों !ऐसा लिखकर किसी को छोटा दिखाना नहीं है बल्कि छोटी छोटी बातों में हास्य व्यंग्य को ढूंढना है और इसे आपतक पहुंचाकर कुछ गुदगुदाने का प्रयास किया है।अगर मेरे ब्लॉग पढ़ने से आपकी होंठों पर एक मुस्कान भी आ जाती है तो मेरे लिखना सार्थक है।
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