नीतीश कुमार सेवानिवृत्त अधिकारी तारिणी दास को भ्रष्टाचार के लिए अनुमोदन कर सेवा विस्तार दिया था।

   


लागत है नीतीश सरकार अंतिम सांसें गिन रही है।  जीरो टॉलरेंस भ्रष्टाचार के नारा देने वाले भ्रष्टाचार में इतना डूब गई है कि शायद ही अब उबर पाये। तारिणी दास अक्टूबर 2024 में सेवानिवृत्त होने पर नीतीश कुमार बिना कैबिनेट के मंजूरी के अपने अनुमोदन से इसका सेवा विस्तार कर दिया था, उसके बाद कैबिनेट की मंजूरी मिली थी। दास में ऐसा क्या गुण था कि सेवानिवृत्त के बाद सेवा विस्तार किया गया?  शायद भ्रष्टाचार में डूबे होना ही प्रतीत होता है। ईडी को सीएम से पूछताछ करनी चाहिए कि राज्य में अनेक आईएस कार्यरत हैं ,फिर भ्रष्टाचारी को क्यों सेवा विस्तार किया गया ? इस काली कमाई का उपयोग कौन कौन किया है?यह भी पूछताछ होनी चाहिए। भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता (उतर) तारिणी दास के ठिकानों पर गुरुवार, 27 मार्च  ईडी ने छापा मारा. केंद्रीय जांच एजेंसी ने तारिणी दास के रिश्तेदारों और करीबियों के ठिकानों पर भी रेड मारी. जानकारी के मुताबिक, ईडी के अधिकारियों को तारिणी दास के घर से करीब 3 करोड रुपये के नोट मिले हैं, जिनको गिनने में ईडी के अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं. जिसके बाद ईडी के अधिकारियों ने नोट गिनने वाली दो मशीनों को मंगाया है, जिनसे नोट गिनने का काम किया जा रहा है. छापेमारी में कई दस्तावेज भी मिले हैं, जिसकी जांच की जा रही है.  ईडी के अधिकारी सुबह 4 बजे ही तारिणी दास के घर पर आ धमके और छापेमारी की कार्रवाई शुरू कर दी. इस रेड की किसी को कानों-कान खबर नहीं थी. 

  ऐसे ही एक बार पटना जिला के ही एक  फ्लावर मिल में फर्जी करोड़ो रूपये का सब्सिडी सरकार से लिया था । विभागीय स्तर  पर जांच हुई ,आरोप सत्य पाया गया लेकिन तत्कालीन विभागीय मंत्री ने पुनः जांच के नाम पर फ़ाइल में दस्तखत कर  आरोपी को बचा लिया था और इसके एवज फर्जी सब्सिडी की आधी रकम करोड़ों को डकार गया था ,जिसे मैं प्रमुखता से लिखा था। ऐसे भ्रष्ट नेता ही हुलिया बदलकर जनता को भरमा रहे हैं।  सरकार के इस कुव्यवस्था को लोगों को बताने की जरूरत नहीं है, खुद नॉकरशाहों से लोग त्रस्त हैं। 

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