समधिन की गाली का जवाब समधी का सीताराम ..
शादी में कोई किसी को गाली दे तो कर्णप्रिय लगता है लेकिन झगड़ा में गाली देने की बात तो दूर तुम ताम भी कर दे तो बात बिगड़ जाती है। ऐसे ही एक घटना घटी । लड़का के पिता संत प्रवृत्ति के था,हमेशा हाथ में कमंडल ,गले में तुलसी के माला, ललाट पर चंदन और जुबान पर सिर्फ सीताराम ही रहता।किसी को बुलाते भी तो सीताराम ही कहकर। बेटा की शादी धूमधाम से किये ।लड़की की माँ अंतराष्ट्रीय स्तर की झगड़ालू व गाली गलौज करने वाली थी।इस मामले में वो जवानी से लेकर बुढापे तक अपने रिकॉर्ड कायम रखे हुए थी। अपना , चचेरा सास ससुर से लेकर जेठ देवर तक माथे पर कई टांके लगवा चुके थे, पड़ोसी भी अनुशासित रहते थे। गलती से कोई उसके बारे में कुछ बोल दिया तो कम से कम एक सप्ताह तक छत पर चढ़कर उसकी खानदान की डीएनए बता देती थी। बुद्धिमान लोग इनसे प्रेम स्नेह से ही रहने में भलाई समझते थे। लोग इसे प्यार से भौजी कहते थे, बहुत खुश होती थी और इसकी दिलचस्पी अन्तःपुर शास्त्र में ज्यादा रहती थी।ये डबल रोल में हमेशा रहती थी।अगर किसी से प्रेम भाव है तो ये जान छिड़कती थी,मंद मंद मुस्कान, लंबी ,गोरी ,छड़हरे बदन ,बड़ी बड़ी कटीली आंखें ..अगर दुश्मनी है तो बिना मुँह पर दो चार सुनाए नही रहती।मर्द लोग मजबूरी में नपुंसक बने रहते हैं।लंबी फेहरिस्त है।अब मूल बात पर आएं।
दामाद ने इसके बेटी को पिट दिया था, बेटी सबसे ऊपरी अदालत माँ के पास गुहार लगाई।माँ बेटी को लेकर उसके ससुराल गयी।दामाद ,सास घर से फरार, शायद सासु माँ की काली रूप से पहले से वाकिफ़ थे।श्वसुर खेत में कुदाल चला रहे थे। समधिन समधी को खोजते खोजते खेत में पहुंच गई और दूर से ही माँ ,बहन ,बेटी की डीएनए भीड़ को बताने लगी ।बेचारा समधी जवाब में सीताराम सीताराम बोल रहे थे। धर्म संकट में फंसे तुलसी माला निकाल फेरने लगे ,लेकिन संकट दूर होने के बजाय बढ़ ही रहा था। समधिन समधी के कंठीमल तोड़ दी और जोर से एक धक्का दी। बेचारे दशरथ जी की तरह राम राम कहते जमीन पर गिर गए।किसी तरह लोग बीच बचाव किया तब जाकर शील भंग होने से बची। लोगों ने कहा ऐसी नारी आज तक नहीं देखा । कैसे उस गांव के लोग झेलते हैं? गांव वाले तो भाई डर डर के इज्ज़त बचाते हैं।
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