कैसे उसको पीटे थे यादव जी ! अप्रैल फूल !
यादव जी से एक पुरानी घटना को एक सज्जन पूछने लगे । यादव जी कहा - छोड़िए पुरानी बात को। कभी - कभी हो जाता है, जब आदमी एक जगह रहता है तो ,कोई दुश्मनी थोड़े हो जाता है। व्याकुल मन सज्जन का वह बार - बार पूछने लगा।यादव जी ने कहा - ठीक से याद नहीं है कि कैसे - कैसे मारे थे ? अब तू करेक्शन कर के बताना कि पंच वही मारे थे कि कहीं और। 8 -10 लोग तमाशबीन खड़े थे।यादव जी सज्जन के बाल पकड़े और दे दनादन ।लोग बीचबचाव करने आये।वे सभी को हटा दिया ,सज्जन जमीन पर गिरे छोड़ देने का दुहाई देने लगा।यादव जी बोले -अभी 10 फ़ीसदी भी नहीं बताया है, मुझे याद है कि वो घटनास्थल से अस्पताल गया था।इतना सुनते ही वो पांव पकड़ लिया और बोला -अब मुझे घटना नहीं जानना है। अब आज से यह जगह ही छोड़ दूंगा।बेचारा !मुँह ,नाक के खून पोछते भागा।दरअसल उस दिन भी अप्रैल फूल ही था और उसे फिर से कोई घटना करवाना चाहता था। बेचारा भूल गया अप्रैल फूल।
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