भारत की यही है रामराज्य ! वंचितों के साथ जानवरों जैसा दुर्व्यवहार !
कहाँ गया योगी का बुलडोजर ,नीतीश का सुशासन!
हिन्दू धर्म व सनातन धर्म के नाम पर पगलाए हुए वंचितों ,बहुजनों सपा संसद रामजी लाल पर जानलेवा हमला, जय भी कहने पर बुरी तरह से पिटाई करना ,आरा में 7 बारातियों को गोली मारने जैसी घटनाएं आंखें खोलने के लिए काफी है।इसके बावजूद भी भगवा -भगवा कहता है तो चुल्लू भर पानी में डूब मर जाना चाहिए।आज उसकी बारी है कल तेरी बारी आएगी। इसके पिछलग्गू जदयू ,हम ,लोजपा है।यही सब मनुवादियों को देश में फलने फूलने दिया है।इसे भी बहुजनों को सबक सिखाने की जरूरत है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न की समस्या को उजागर करती है जो अभी भी भारत के कुछ हिस्सों में मौजूद है। "जय भीम" का नारा, जो दलितों के उत्थान और सामाजिक न्याय का प्रतीक है, के इस्तेमाल पर इस तरह की प्रतिक्रिया अस्वीकार्य है।
सपा संसद रामजी लाल पर टायर से हमले
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के काफिले पर हमला हुआ है। इस हमले में करणी सेना के कार्यकर्ताओं पर टायर और पत्थर फेंकने का आरोप लगा है। यह घटना अलीगढ़ के गवाना टोल प्लाजा के पास हुई। करणी सेना पर सांसद के काफिले पर टायर और पत्थर फेंकने का आरोप है। रामजी लाल सुमन ने हाल ही में मेवाड़ के शासक राणा सांगा के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिससे करणी सेना नाराज थी। इस हमले में काफिले की कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस हमले की कड़ी निंदा की और इसे एक आपराधिक कृत्य बताया है।
यह घटना राजनीतिक तनाव और सामाजिक असंतोष को दर्शाती है।
आरा में एक बारात में दबंगों द्वारा 7 लोगों को गोली मारने की घटना वास्तव में परेशान करने वाली है।यह घटना भोजपुर जिले के गड़हनी थाना क्षेत्र के लहरपा गांव में रविवार रात को हुई। बारात लड़की के दरवाजे पर पहुंची थी, जब पार्किंग को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया। यह विवाद इतना बढ़ गया कि एक पक्ष ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें 7 लोगों को गोली लगी। इस घटना में 2 लोगों की मौत हो गई, जबकि 5 अन्य घायल हो गए, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।
मृतकों की पहचान लवकुश और राहुल के रूप में हुई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और आरोपियों की पहचान करने की कोशिश कर रही है। इस घटना के पीछे वर्चस्व की लड़ाई हो सकती है, जिसका संबंध 2022 के पंचायत चुनावों से है।
यह घटना बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाती है और इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।
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