"मानवता शर्मसार: दुर्घटनाग्रस्त युवक को ₹20,000 जमा करने के बाद ही मिला इलाज, डॉ पर गम्भीर आरोप "

 


 

डॉ किशोर दास डॉ या जल्लाद!-प्रसिद्ध यादव।

खगौल, बिहार: मानवता और चिकित्सा नैतिकता को तार-तार करती एक चौंकाने वाली घटना खगौल में सामने आई है, जहां एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल युवक को कथित तौर पर डॉ. किशोर दास की क्लिनिक में तब तक इलाज नहीं मिला, जब तक कि उसके परिजनों ने ₹20,000 की मोटी रकम अग्रिम रूप से जमा नहीं करा दी। यह घटना 13 जून की रात की है और इसने स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, बाबूचक गांव में रात करीब 9 बजे एक युवक को ऑटो रिक्शा ने टक्कर मार दी, जिससे वह अपनी बाइक से गिर गया और उसके पैर व हाथ में गंभीर चोटें आईं। खून बहने लगा और स्थिति नाजुक थी। गांव के ही कुछ युवकों ने तत्काल घायल को पास की डॉ. किशोर दास की क्लिनिक में पहुंचाया।

प्रत्यक्षदर्शियों और पीड़ित परिवार के सदस्यों के अनुसार, क्लिनिक पहुंचने पर डॉ. दास ने बिना किसी प्राथमिक जांच के ही इलाज शुरू करने से पहले ₹20,000 जमा करने की मांग रख दी। उस वक्त घायल के परिवार का कोई सदस्य वहां मौजूद नहीं था। थोड़ी देर बाद जब परिवार के कुछ लोग क्लिनिक पहुंचे और स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ₹5,000 जमा करने की पेशकश की, तो डॉ. दास ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उन्हें पूरी राशि यानी ₹20,000 चाहिए।

स्थिति की गंभीरता और युवक की बिगड़ती हालत को देखते हुए, मजबूरन परिजनों को गूगल पे के माध्यम से तत्काल ₹20,000 की पूरी राशि जमा करनी पड़ी। इसके बाद ही डॉ. दास ने घायल का उपचार शुरू किया। युवक के पैर और हाथ में एक-एक टांका लगा है और एक पैर पर प्लास्टर चढ़ा है। सभी दवाइयां और एक्स-रे का खर्च भी पीड़ित परिवार ने स्वयं वहन किया है।

आज शाम घायल युवक को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, लेकिन परिजनों का आरोप है कि डॉ. दास ने अभी तक उन्हें इलाज का कोई विस्तृत बिल नहीं दिया है। इससे यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि ₹20,000 की राशि किस मद में ली गई।

यह घटना भारतीय कानून और सर्वोच्च न्यायालय के उन स्पष्ट निर्देशों का सीधा उल्लंघन है, जिनमें कहा गया है कि किसी भी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान की जानी चाहिए, भले ही उसकी भुगतान क्षमता कुछ भी हो। आपातकालीन स्थिति में डॉक्टरों का पहला कर्तव्य जीवन बचाना होता है, न कि पैसे की मांग करना।

इस अमानवीय व्यवहार ने चिकित्सा पेशे की गरिमा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों और पीड़ित परिवार ने डॉ. दास के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की है और यह जानने की उम्मीद कर रहे हैं कि ऐसे संवेदनशील मामलों में सरकार द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर क्या कार्रवाई होगी। इस मामले में आगे की जांच और आवश्यक कार्रवाई की उम्मीद है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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