संत कबीर दास ने दुनिया को समानता, एकता, निस्वार्थ प्रेम और सच्ची भक्ति का मार्ग दिखाया।

      



संत कबीर दास ने दुनिया को एक अमूल्य विरासत दी है, जो उनके उपदेशों, विचारों और जीवनशैली के माध्यम से आज भी प्रासंगिक बनी हुई है। उनकी दुनिया को दी गई मुख्य देनें इस प्रकार हैं:

कबीर ने भारतीय समाज में व्याप्त जातिवाद, छुआछूत, ऊँच-नीच, और धार्मिक भेदभाव का कड़ा विरोध किया। उन्होंने "जाति-पाति पूछे न कोई, हरि को भजे सो हरि का होई" जैसे दोहों के माध्यम से सभी मनुष्यों की समानता पर बल दिया।

उन्होंने पाखंड, आडंबर और अंधविश्वासों की तीखी आलोचना की और सच्चे भक्ति मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उनका मानना था कि ईश्वर को कहीं बाहर ढूंढने की आवश्यकता नहीं, वह तो मनुष्य के भीतर ही निवास करता है।

उन्होंने हिन्दू और मुसलमानों के बीच एकता और सद्भाव स्थापित करने का प्रयास किया, यह समझाते हुए कि ईश्वर एक है और उसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है।

कबीर निर्गुण भक्ति शाखा के प्रमुख संत थे। उन्होंने ईश्वर को निराकार, निर्गुण, अजर, अमर और सर्वव्यापी माना। उन्होंने मूर्ति पूजा, तीर्थयात्रा और बाहरी कर्मकांडों की बजाय आंतरिक शुद्धि और सच्ची भक्ति पर जोर दिया।

उनके अनुसार, ईश्वर को प्राप्त करने का मार्ग प्रेम, आत्मज्ञान और गुरु के मार्गदर्शन से होकर गुजरता है।

कबीर ने अपनी रचनाओं (साखी, सबद, रमैनी) में लोकभाषा (सधुक्कड़ी या पंचमेल खिचड़ी) का प्रयोग किया, ताकि उनके संदेश आम जनता तक आसानी से पहुँच सकें। उनकी भाषा में ब्रज, अवधी, हरियाणवी, पंजाबी और खड़ी बोली के शब्दों का मिश्रण देखने को मिलता है।

उन्होंने अपने दोहों और पदों के माध्यम से गहन दार्शनिक विचारों को अत्यंत सरल और सहज तरीके से प्रस्तुत किया, जो आज भी लोगों को प्रेरणा देते हैं।

कबीर ने सत्य, अहिंसा, सदाचार, प्रेम, दया और निस्वार्थ सेवा जैसे नैतिक मूल्यों पर जोर दिया। उन्होंने अहंकार, छल-कपट, निंदा और भौतिक मोह का त्याग करने का उपदेश दिया।

उन्होंने एक आदर्श समाज की कल्पना की जहाँ कोई निजी संपत्ति न हो और सभी संसाधन साझा किए जाएँ, जिससे गरीबों का शोषण न हो।

कबीर ने गुरु को ईश्वर तुल्य माना और उनके मार्गदर्शन को मोक्ष प्राप्ति के लिए आवश्यक बताया।

कबीर की शिक्षाओं ने भक्ति आंदोलन को गहराई से प्रभावित किया और उनकी रचनाएँ सिखों के पवित्र ग्रंथ 'गुरु ग्रंथ साहिब' में भी सम्मिलित की गई हैं।

उनके अनुयायियों ने 'कबीर पंथ' नामक संप्रदाय की स्थापना की, जो उनकी शिक्षाओं का पालन करता है।


आज भी, कबीर के दोहे और विचार लोगों को जीवन में सही राह दिखाते हैं और सामाजिक बुराइयों को दूर करने की प्रेरणा देते हैं। उनका सार्वभौमिक संदेश धार्मिक सहिष्णुता, प्रेम, और शांति की ओर प्रेरित करता है।

उन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करते हुए एक ऐसे समाज की कल्पना की जहाँ सभी मनुष्य समान हों और प्रेम व सद्भाव से रहें। उनकी शिक्षाएं और विचार आज भी मानव जाति के लिए प्रासंगिक और प्रेरणादायक हैं।


 

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