मुंशी प्रेमचंद जी की सादगी और निष्ठा से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए

   


 आज दिखावे की चकाचौंध में सादगीपूर्ण रहने वाले को बेवकूफ समझा जाता है। यही दिखावा  प्रेमचंद जी का जीवन सादगी और संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उनकी रचनाएँ कालजयी हैं। 'गोदान', 'कर्मभूमि', 'सेवासदन' और उनकी सैकड़ों कहानियाँ आज भी भारतीय समाज की आत्मा को छूती हैं। उन्होंने जीवन की सच्चाइयों को इतनी गहराई से समझा और लिखा कि उनकी बातें आज भी उतनी ही प्रासंगिक लगती हैं।

आज के समय में जब भौतिकता और दिखावा हावी है, प्रेमचंद जी जैसे साहित्यकारों की सादगी और निष्ठा हमें बहुत कुछ सिखाती है। उनकी फटे जूते वाली तस्वीर वास्तव में उनकी आंतरिक समृद्धि और लेखन के प्रति उनकी अटूट निष्ठा का प्रतीक है।

यह सत्य है कि उनके साहित्य का उपयोग करके बहुतों ने धन कमाया, लेकिन प्रेमचंद जी की असली विरासत उनके विचार और उनकी कहानियाँ हैं, जो अमूल्य हैं। 

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