अलविदा, रामनारायण पाठक: एक अनमोल साहित्यिक यात्रा का अंत!😢😢-प्रो प्रसिद्ध कुमार।

  



आज सुबह एक दुखद समाचार मिला कि मेरे अजीज मित्र और निर्भय पंक्षी पत्रिका के सहकर्मी, फुलवारी शरीफ के कुरकुरी निवासी रामनारायण पाठक जी अब हमारे बीच नहीं रहे। यह मनहूस खबर पत्रिका के सहायक संपादक अशोक कुणाल ने दी, जिन्होंने बताया कि पाठक जी के भतीजे ने रात दो बजे उन्हें इस दुखद घटना की जानकारी दी।

पाठक जी को देर रात अचानक पेट में दर्द हुआ, और परिजन उन्हें एम्स ले गए, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें बचाया नहीं जा सका। यह खबर हमारे लिए किसी सदमे से कम नहीं है, खासकर जब कल शाम ही हमने खगौल में एक और मित्र, बबलू जी, को कुणाल जी के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की थी।

रामनारायण पाठक जी से मेरी आखिरी मुलाकात 20 जून को श्री राम जानकी मंदिर में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान हुई थी, जहाँ हमने घंटों बातें की थीं। वह न केवल निर्भय पंक्षी के लिए एक समर्पित लेखक थे, बल्कि एक भावुक रंगकर्मी भी थे। उन्होंने सूत्रधार नाट्य संस्था के लिए भी काफी काम किया और कई अखबारों में रिपोर्टिंग भी की।

उनका निधन साहित्य और रंगमंच जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। इस दुख की घड़ी में संत कबीर की वाणी याद आती है: अधिवक्ता रंगकर्मी नवाब आलम ,राम जानकी मंदिर के अध्यक्ष विनोद यादव, परशुराम गुप्ता आदि ने गहरी संवेदना व्यक्त किया है।

यह संसार कागद की पुड़िया, बूँद पड़े गल जाना है।


रामनारायण पाठक जी अपनी लेखनी, अपने रंगमंच प्रेम और अपनी मित्रवत स्वभाव के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।



 

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