राजकिशोर गुप्ता 'बबलू' को भावभीनी श्रद्धांजलि: एक जीवन, एक सीख !😢😢-प्रो प्रसिद्ध कुमार।




   


आज खगौल में राजकिशोर गुप्ता 'बबलू' जी को उनके तैलचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। इस श्रद्धांजलि सभा में खगौल के गणमान्य व्यक्तियों, उनके परिजनों और मित्रों ने उन्हें याद किया, और उनके योगदान को सराहा। यह अवसर केवल उनके निधन पर शोक व्यक्त करने का नहीं था, बल्कि उनके जीवन से मिली सीखों को आत्मसात करने का भी था।

दानापुर विधानसभा के वरिष्ठ राजद नेता दीनानाथ यादव ने बबलू जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि खगौल के एक सामाजिक कार्यकर्ता और राजद के सच्चे सिपाही को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। यह दर्शाता है कि बबलू जी ने अपने जीवन में समाज के लिए कितना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वहीं, रंगकर्मी और अधिवक्ता जनाब नवाब आलम ने भावुक होकर कहा कि जो कभी साहित्य संगोष्ठी, समसामयिक विषयों पर, रंगकर्म के लिए स्वयं महफ़िल सजाते थे, आज वीरान लग रहा है। उनकी ये बात बबलू जी की बहुमुखी प्रतिभा और उनकी उपस्थिति के महत्व को दर्शाती है।

साहित्यकार प्रो. प्रसिद्ध कुमार ने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि वे सिर्फ एक अच्छे इंसान ही नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकारों से भी मतलब रखते थे। पत्रकार अशोक कुणाल ने अपनी बीमारी की अवस्था में भी इस सभा में शिरकत की और कबीर की बातों को याद किया। सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप प्रियदर्शी ने अपनी यादें साझा कीं, और बबलू जी के 70 वर्षीय मामा सुभाष चंद्र ने उनके बचपन से लेकर अब तक के अनछुए पहलुओं को बताया। बबलू जी के भांजे, भतीजे और बहनोई भी इस गम में डूबे रहे।

यह सच है कि बबलू जी ने जीवन में जो भी कार्य किए, जो संबंध बनाए, और जो प्रेम अर्जित किया, वही उनकी सच्ची पूँजी है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि महत्व इस बात का नहीं है कि हम क्या इकट्ठा करते हैं, बल्कि यह है कि हम कैसे जीते हैं और दूसरों के जीवन को कैसे छूते हैं।

कबीर दास जी ने हमें सिखाया है कि:

"माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय।

एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय।।"

और

"जब आए तब जगत में, हँसे आप, रोए लोग।

करनी ऐसी कीजिए, हँसे लोग, रोए आप।।"

ये दोहे हमें जीवन और मृत्यु की नश्वरता का बोध कराते हैं। हम इस संसार में खाली हाथ आते हैं और खाली हाथ ही जाते हैं, लेकिन जो कुछ हम पीछे छोड़ जाते हैं वह हमारे कर्म और हमारी यादें हैं। बबलू जी ने निश्चित रूप से अपने कार्यों और अपने स्वभाव से लोगों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ी है।

उनकी कमी हम सभी को खलेगी। इस दुःखद घड़ी में, हम उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। बबलू जी को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि। उनका जीवन हमें सिखाता है कि महत्वपूर्ण यह नहीं कि हम क्या इकट्ठा करते हैं, बल्कि यह है कि हम कैसे जीते हैं और दूसरों के जीवन को कैसे स्पर्श करते हैं।

इस सभा में अनेक रंगकर्मी, समाजसेवी, पत्रकार और नेता उपस्थित होकर बबलू जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह उनके व्यापक प्रभाव और लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है।



 

Comments

Popular posts from this blog

डीडीयू रेल मंडल में प्रमोशन में भ्रष्टाचार में संलिप्त दो अधिकारी सहित 17 लोको पायलट गिरफ्तार !

जमालुद्दीन चक के पूर्व मुखिया उदय शंकर यादव नहीं रहे !

अलविदा! एक जन-नेता का सफर हुआ पूरा: प्रोफेसर वसीमुल हक़ 'मुन्ना नेता' नहीं रहे !