स्काईलार्क (Skylark) के दीपेश कुमार शर्मा, इंजीनियरिंग तकनीकी सलाहकार (Technical Consultant), जो भारतीय रेल को सेवा देते हैं, एक चमकता सितारा !
दीपेश, स्काईलार्क डिज़ाइनर एंड इंजीनियरस प्रा. लि. के प्रबंध निदेशक, इंजीनियरिंग तकनीकी की दुनिया के एक ऐसे शिल्पी हैं, जिनकी कला उनके विनम्र स्वभाव और असाधारण व्यक्तित्व में उतनी ही परिलक्षित होती है, जितनी उनके द्वारा रचे गए भव्य ढाँचों में। जैसे एक शांत सरोवर अपनी गहराई में अनंत जल समेटे रहता है, वैसे ही दीपेश की शख्सियत में ज्ञान और अनुभव की अगाधता छिपी है।
उनके पिता, श्री आर. के. शर्मा, बिहार राज्य विद्युत बोर्ड के चेयरमैन पद से सेवानिवृत्त हुए, और दादा, स्वर्गीय ठाकुर जी, रेलवे स्कूल, खगौल में एक समर्पित शिक्षक थे। यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि दीपेश, अपने पूर्वजों की विरासत के ऐसे वृक्ष हैं, जिसकी जड़ें तो गहरी हैं, लेकिन फल दूर-दूर तक फैले हुए हैं, जो खगौल का नाम रोशन कर रहे हैं।
दीपेश का काम, रेलवे यात्रा के चारधामों के डीपीआर बनाने से लेकर जम्मू-कश्मीर के दुर्गम रेल नेटवर्क, लेह-लद्दाख-मनाली और टनकपुर-बागेश्वर जैसे महत्वाकांक्षी रेलवे परियोजनाओं तक फैला हुआ है। बिहार में दरभंगा-मुजफ्फरपुर और नेउरा-दनियावां रेल लाइनों के लिए उनके योगदान, जैसे एक कुशल कुम्हार अपनी चाक पर मिट्टी को नया जीवन देता है, उसी प्रकार उन्होंने निर्माण के क्षेत्र में अपनी अमिट पहचान बनाई है।
उनका स्वभाव, छोटे भाई की तरह विनम्र और शालीन है, जो उनकी असाधारण क्षमताओं को और भी आकर्षक बनाता है। उनका खगौल लख से पूरब स्थित "हाइवे रेस्टोरेंट", सुविधाओं से सुसज्जित, जैसे एक ओएसिस रेगिस्तान में यात्रियों को सुकून देता है, उसी प्रकार यह शांत वातावरण गंभीर चर्चाओं के लिए एक आदर्श आश्रय प्रदान करता है।
एक शाम, जब मैं चर्चित रंगकर्मी और अधिवक्ता नवाब आलम जी के साथ उसी शांत वातावरण में कॉफी का आनंद ले रहा था, तभी दीपेश जी का आगमन हुआ। उनका बात करने का लहजा, किसी बहती नदी की तरह सहज और गहरा था, जो तुरंत यह बता देता है कि वह एक असाधारण व्यक्ति हैं। हमारी बातचीत लंबी चली, परंतु जैसे एक मनमोहक धुन कभी समाप्त नहीं होती, वैसे ही हमारी गुफ्तगू से जी नहीं भरा। अब एक दिन फिर जब साथ बैठेंगे, तो शायद कुछ नई कहानी गढ़ेंगे, जैसे एक कवि अपनी कल्पना से नए छंदों का सृजन करता है।
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