दफ्तरों की महिमा अपरंपार, और बिहार तो जैसे इसका सिरमौर! -प्रो प्रसिद्ध कुमार।😊😊

   


 हम सबने सुना है, देखा है, और शायद भुगता भी है कि बिहार में एक सुई भी बिना 'तेल' के नहीं हिलती. हर काम के लिए 'अंदर की बात' का जुगाड़ होना चाहिए, नहीं तो फाइलें धूल फांकती रह जाती हैं. लेकिन भैया, ये तो सरासर अन्याय है उन ईमानदार सरकारी बाबूओं के साथ! जो बेचारे बिना किसी लालच के, सिर्फ अपनी कर्त्तव्यनिष्ठा से काम करते हैं, उनका नाम क्यों खराब किया जाए?

आजकल की दुनिया में जहां हर बात पर सोशल मीडिया पर बवाल मच जाता है, वहां एक ऐसा वाकया सामने आया है जिसने 'रिश्वतखोरी' के सारे मिथकों को तोड़ दिया है. किसी ने कहा था कि बिहार में बिना रिश्वत दिए तो आम आदमी का काम भी नहीं होता. लेकिन इस तस्वीर को देखिए, जिसमें एक कुत्ते (Dog Babu) के नाम पर बिहार सरकार का निवास प्रमाण पत्र (Residence Certificate) जारी हुआ है! और ये कोई मामूली कुत्ता नहीं, बल्कि इसका पूरा बायोडाटा है - पिता का नाम 'कुत्ता बाबू' (Kyutta Babu), माता का नाम 'कुतिया देवी' (Kutiya Devi), ग्राम/मोहल्ला - 'काउजलीचक', वार्ड संख्या -15, डाकघर - मसौढ़ी, पिनकोड - 804452, थाना - मसौढ़ी, प्रखंड - मसौढ़ी, अनुमंडल - मसौढ़ी, जिला - पटना, राज्य - बिहार!

अब मेरा सवाल उन सभी आलोचकों से है जो कहते हैं कि बिहार में बिना रिश्वत के पत्ता भी नहीं हिलता: ये 'डॉग बाबू' कौन सा रिश्वत दिए थे? ये कौन सा दफ्तरों के चक्कर काटे थे? इनकी कौन सी पैरवी लगी थी? क्या इन्होंने किसी बाबू को बिस्कुट खिलाया था या हड्डी? या फिर सरकारी कागजों पर इतनी दया आ गई कि उन्होंने सोचा चलो इंसान न सही, किसी जानवर का ही भला कर देते हैं!

इससे तो यही लगता है कि बिहार सरकार और उसके प्रशासन में ईमानदारी अभी जिंदा है, बस वह शायद मनुष्यों के बजाय जानवरों पर ज्यादा मेहरबान है. हो सकता है कि मनुष्यों को मिलने वाले सरकारी लाभ के लिए रिश्वत का 'चार्ज' लगता हो, लेकिन जानवरों के लिए शायद 'मुफ्त सेवा' का प्रावधान हो! अब अगर अगली बार किसी को अपना काम करवाना हो और रिश्वत देने की क्षमता न हो, तो शायद उन्हें अपने पालतू जानवर के नाम पर आवेदन करना चाहिए. क्या पता, 'डॉग बाबू' की तरह उनका भी काम झट से हो जाए!

तो अगली बार जब कोई कहे कि बिहार में सब काम रिश्वत से होता है, तो उन्हें 'डॉग बाबू' का निवास प्रमाण पत्र दिखाइएगा और कहिएगा, "कौन कहता है कि बिहार में सब काम रिश्वत से होता है? कुत्ता कौन रिश्वत दिया और ऑफिस का चक्कर काटा?" यह सिर्फ हास्य-व्यंग्य नहीं, बल्कि उन सरकारी प्रक्रियाओं पर एक तीखा कटाक्ष है जो अक्सर आम आदमी के लिए जटिल और भ्रष्टाचार से भरी होती हैं. जय हो बिहार सरकार! जानवरों पर आपकी कृपा दृष्टि यूं ही बनी रहे!




 

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