खगौल में गूंजे सुर: "एक शाम रफी एवं लता जी के नाम" ने संगीत की विरासत को किया जीवंत! -प्रो प्रसिद्ध कुमार।
खगौल, 31 जुलाई 2025 - आज खगौल की धरती पर एक ऐसा अविस्मरणीय दिन रहा, जब मोहम्मद रफी साहब की 45वीं पुण्यतिथि और लता मंगेशकर जी की तीसरी पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित "एक शाम रफी एवं लता जी के नाम" कार्यक्रम ने संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शुभ आलय उत्सव पैलेस, बड़ी बदलपुरा में रंगोली म्युजिकल ग्रुप (खगौल) पटना द्वारा प्रस्तुत इस संगीतमय श्रद्धांजलि ने दर्शकों को सुरों के सागर में डुबो दिया।
सुरों से सजी शाम की शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और महान कलाकारों, रफी साहब और लता मंगेशकर जी, के तैल चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इस पावन अवसर पर मुख्य अतिथि विधायक आई पी गुप्ता, माध्यमिक विद्यालय पूर्व मध्य रेलवे दानापुर के प्राचार्य ज्ञानेश्वर प्रसाद, अतिथि रंगकर्मी विनोद शंकर मिश्रा, सूत्रधार नाट्य संस्था के महासचिव रंगकर्मी एवं अधिवक्ता नवाब आलम, प्रो प्रसिद्ध कुमार, बालिगा माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक मोहन पासवान और उनकी पत्नी समाजसेवी अनिता देवी, लक्ष्मी पासवान सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी उपस्थिति से शाम को और भी विशेष बना दिया।
महान विरासत का सम्मान
कार्यक्रम के व्यवस्थापक पवन कुमार दीपक ने सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया और मोहम्मद रफी साहब एवं लता मंगेशकर जी की अद्भुत जीवनी पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह आयोजन सिर्फ एक संगीत कार्यक्रम नहीं, बल्कि इन दो महान कलाकारों को याद करने, उनके अमर संगीत का जश्न मनाने और उनकी विरासत को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने का एक सच्चा प्रयास है।
कलाकारों ने बिखेरे सुरों के जलवे
Mk Raju ने उद्घोषक की भूमिका बखूबी निभाई, वहीं महिला कलाकार श्रिया लता और अंजलि ने अपनी मधुर प्रस्तुतियों से समां बांध दिया। सुजीत कुमार चेयरमैन ने कलाकारों का मनोबल बढ़ाया। पवन और अंजलि की "तूने ऐ रंगीले कैसा जादू किया" पर जुगलबंदी ने दर्शकों का दिल जीत लिया, तो वहीं श्रिया लता ने "दिल अपना प्रीत पराई" गाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। पवन कुमार ने रफी साहब की आवाज़ में "सुख के सब साथी" जैसा सुरीला गीत गाकर सबका मन मोह लिया। "पत्थर के सनम तुझे हमने मुहब्बत का..." गीत ने तो मानो सभी को अतीत की सुनहरी यादों में डुबो दिया।
संगीत में डूबा खगौल
आज खगौल में मो. रफी और लता मंगेशकर जी के गीतों से ऐसी सुरमई शाम बंधी कि क्या युवा, महिलाएं, या बुजुर्ग, सभी गीत-संगीत के इस सरोवर में डुबकी लगाने को मजबूर हो गए। रंजन ठाकुर सहित अन्य गण्यमान्य कला और साहित्य प्रेमियों ने भी इस संगीतमय संध्या में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
यह कार्यक्रम खगौल की समृद्ध कलात्मक विरासत का एक जीवंत प्रमाण था, जो आर्यभट्ट की ज्ञान की भूमि और कला-संस्कृति के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। इस आयोजन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि खगौल वह धरती है जिसने देश और दुनिया को कई नामचीन कलाकार दिए हैं।
पवन कुमार दीपक के सफल आयोजन में, इस शाम ने संगीत प्रेमियों को एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया, जहाँ रफी साहब और लता जी की आत्मा को स्पर्श करने वाले गीतों ने भारतीय संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।



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