पटना का हाल: विकास की बाढ़ में डूबा शहर
बीस सालों का इतिहास यही,
पटना डूबे हर बार सही.
न समुचित जल का निकास,
थोड़ी बारिश में टूटे हर आस.
पटना स्टेशन की पटरी डूबी,
साहेब, मंत्री का बंगला भी डूबी.
राजेंद्र नगर से एम्स तक,
पानी ही पानी, क्या कहूं अब तक!
पीएमसीएच हो या एनएमसीएच,
छात्रों का हॉस्टल, क्या है रे बेच!
अगर सावन-भादो बरसेगा फिर,
क्या होगा हाल, बेहाल ये शहर?
डबल डेकर, मेट्रो की बात,
पर ड्रेन की योजना क्यों न साथ?
विकास केवल अखबारों में,
टीवी के झूठे विचारों में.
सात हज़ार करोड़ का हिसाब नहीं,
क्या पानी में बह गया जवाब नहीं?
कैग करे गुहार, "दो प्रमाण पत्र!"
बिहार सरकार, सुन लो ये मंत्र.
सरकार अभी है पानी में,
मत करो पानी-पानी, नादानी में.
चुनाव निकट है, कैग चुप रहो,
पटना में पानी ही पानी, बस यही कहो!

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