## बोधगया की दहला देने वाली घटना: जब रक्षक ही बन गए भक्षक !😢😢- प्रो प्रसिद्ध कुमार।
नीतीश जी !अब तो नींद से जागें !😢
बोधगया से आई एक ख़बर ने पूरे बिहार को स्तब्ध कर दिया है, एक ऐसी ख़बर जिसने हम सभी को भीतर तक हिला दिया है। होमगार्ड भर्ती के दौरान एक युवती के साथ एंबुलेंस में हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना सिर्फ़ एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि हमारे **शासन-प्रशासन के मुंह पर एक करारा तमाचा है।**
यह घटना केवल विस्मयकारी ही नहीं, बल्कि दिल को आहत करने वाली और झकझोर देने वाली है। जब हम कल्पना करते हैं कि सुरक्षा का प्रतीक मानी जाने वाली एक एंबुलेंस में, जहां जीवन बचाने की उम्मीद की जाती है, वहीं एक युवती की गरिमा को तार-तार किया गया, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह वारदात चीख-चीखकर कह रही है कि **कानून का इकबाल पूरी तरह ख़त्म हो चुका है।**
मुख्यमंत्री, जो अक्सर 2005 से पहले की कानून-व्यवस्था का हवाला देते नहीं थकते, उन्हें इस घटना से अपनी अंतरात्मा में झांकना चाहिए। यह सच है कि 2005 से पहले की स्थितियां अलग थीं, लेकिन क्या आज की स्थिति को 'सुशासन' कहा जा सकता है, जब जनता के रक्षक ही भक्षक बन जाएं? जब सुरक्षा देने वाली वर्दी ही दरिंदगी का पर्याय बन जाए, तो आम आदमी अपनी सुरक्षा की उम्मीद किससे करे?
यह दुखद सच्चाई है कि अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि वे खुलेआम ऐसे जघन्य अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि भले ही भ्रष्टाचार या अन्य हिंसा के मामलों में बहस की जाए, लेकिन **महिलाओं की सुरक्षा के मोर्चे पर सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है।**
बोधगया की यह घटना केवल एक दुष्कर्म का मामला नहीं है, यह एक गहरी चोट है हमारे समाज पर, हमारी व्यवस्था पर। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम वाकई सुरक्षित हैं? यह सवाल है हर उस नागरिक से, हर उस पदाधिकारी से, जिनकी ज़िम्मेदारी कानून-व्यवस्था बनाए रखने की है।
इस घटना ने हमें गहरा सदमा पहुंचाया है और यह हम सभी को यह याद दिलाती है कि जब तक अपराधियों को कड़ी से कड़ी सज़ा नहीं मिलती और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक 'सुशासन' का दावा सिर्फ़ एक खोखला नारा बनकर रह जाएगा। यह समय है कि शासन-प्रशासन अपनी नींद से जागे और महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे।

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