पालीगंज में होटल ' खाना खजाना ': जहां स्वाद से ज्यादा 'मसाला' मिलता है !

  


पालीगंज के पास एक ऐसा होटल है, जिसके नाम में 'खाना' भी है और 'खजाना' भी. नाम सुनकर लगता है कि यहां लजीज पकवानों का भंडार होगा, जहां पेट पूजा के साथ-साथ आत्मा को भी शांति मिलेगी. लेकिन जनाब, यहां तो कुछ और ही 'पक रहा' था, और वो भी ऐसा कि आत्मा तो क्या, बेचारे पुलिस वालों की भी रूह काँप उठी!

पुलिस को गुप्त सूचना मिली, जैसे कोई शैफ सीक्रेट रेसिपी की खबर दे गया हो. खबर मिलते ही हमारी जांबाज टीम, जिसमें महिला और पुरुष जवान शामिल थे, तुरंत एक्टिव हो गई. उन्होंने सोचा, "चलो आज 'खाना खजाना' में छापा मारकर देखते हैं कि कौन सा 'बिरयानी' पक रही है." लेकिन जब अंदर का नजारा देखा, तो आंखें फटी की फटी रह गईं. अरे बाप रे! यहां तो खाने की खुशबू से ज्यादा 'मसाले' की गंध आ रही थी!

'खाना खजाना' में पकड़े गए लड़के-लड़कियां आपत्तिजनक हालत में थे, जैसे किसी फाइव-स्टार होटल के मेन्यू में "विशेष व्यंजन: गुप्त मसाला" लिखा हो और लोग उसी का स्वाद लेने आए हों. डीएसपी-1 राजीव चंद्र सिंह ने बताया कि पुलिस को कई दिनों से सूचना मिल रही थी कि पालीगंज के कुछ होटलों में खुलेआम देह-व्यापार चल रहा है. डीएसपी साहब भी सोच रहे होंगे, "काश, इस होटल में सिर्फ पकवान ही पकते!"

अब तो ये बात ऐसी हो गई है कि पालीगंज में बच्चे भी कहेंगे, "मम्मी, 'खाना खजाना' से कुछ लाना मत, वहां तो सिर्फ 'मसाला' मिलता है!" बेचारे होटल मालिक! उन्होंने सोचा होगा, "नाम में 'खाना' और 'खजाना' डाल दो, तो धंधा चल निकलेगा." लेकिन उन्हें क्या पता था कि पुलिस वाले 'खजाना' ढूंढते-ढूंढते उनके 'मसाले' तक पहुंच जाएंगे.

अब देखना यह है कि इस 'खाना खजाना' को बंद कर दिया जाता है या फिर ये 'मसाला' ऐसे ही बिकता रहेगा और पुलिस को बार-बार 'गुप्त रेसिपी' की तलाश में आना पड़ेगा. और हाँ, अगली बार अगर आप पालीगंज जाएं और कोई आपको 'खाना खजाना' जाने को कहे, तो समझ जाइएगा कि वहां 'पेट भरने' नहीं, बल्कि कुछ और 'भरने' का इंतजाम है!


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