पंचतत्व में विलीन हुई अलका रजक! -प्रो प्रसिद्ध कुमार।

  




    @ जनार्दन घाट ! दीघा !

यह जीवन कागद की पुड़िया, बूंद पड़े गल जाना है।


जीवन का सत्य यही है - एक दिन सबको पंचतत्व में विलीन हो जाना है। बिहार के पूर्व मंत्री श्याम रजक की जीवनसंगिनी, अलका रजक, भी इसी अंतिम सत्य से रूबरू हुईं और मुक्तिदायनी गंगा के तट पर अपनी अंतिम यात्रा को पूरा किया।

पटना के दीघा स्थित जनार्दन घाट पर, जहाँ जेपी सेतु के नीचे पवन गंगा अपने पूरे वेग में बह रही थी, मानो अलका जी को अपनी गोद में लेने के लिए आतुर हो। शाम ढल रही थी, सूर्य अस्ताचल की ओर जा रहा था, और जीवन का एक अध्याय समाप्त हो रहा था। यह दृश्य जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु के अटल सत्य का मूक गवाह था।

श्याम रजक ने भारी मन से अपनी जीवनसंगिनी को मुखाग्नि दी, जिसके साथ ही उनका जीवन एकाकी हो गया। आरा गार्डन, जो कभी अलका जी की मौजूदगी से गुलजार रहता था, अब उनकी अनुपस्थिति में वीरान हो गया है। शुभचिंतकों और मित्रों का तांता लगा रहा, जो इस दुखद घड़ी में ढांढस बंधाने के लिए आए थे। पूर्व मंत्री रामकृपाल यादव , मंत्री नीतीश मिश्रा , एमएलसी गुलाम गौस ,राजद नेता बिनु यादव ,श्रवण यादव, पूर्व प्रमुख बिनोद यादव ,पूर्व डीजीपी आलोक राज,एसपी शीला ईरानी ,प्रो शशिकांत ,अरविंद कुमार ,अशोक क्रांति , बिनोद कुमार ,उपेंद्र प्रसाद , रवीश कुमार , विधायक अनिल कुमार ,अजय कुमार सहित हजारों 

इस दुखद क्षण में, संत कबीर की वाणी "रहना नहीं देस बिराना है" जीवन की क्षणभंगुरता का एहसास कराती है। यह हमें याद दिलाती है कि यह संसार केवल एक पड़ाव है, और जीवन की अंतिम यात्रा ही सबसे बड़ा सत्य है। अलका जी भले ही देह रूप में अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें और उनका प्रेम हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।



 

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