बाबूचक का वो मनहूस दिन: तीन मासूमों का दर्दनाक अंत!😢😢-प्रसिद्ध यादव।
पटना के बाबूचक मेरा गांव में आज का दिन दोपहर की धूप हमेशा की तरह तेज थी। घर के आंगन में बच्चों की हंसी गूंज रही थी, लेकिन किसी को क्या पता था कि शाम होते-होते यह हंसी हमेशा के लिए खामोश हो जाएगी।
मधु राय के तीन पोते, 12 साल का आयुष, 10 साल का बजरंगी और 8 साल का पंकज, अक्सर एक साथ खेलते और मस्ती करते थे। उस दिन भी वे खेलने निकले, लेकिन घर से कुछ दूरी पर एक खेत में बने पानी से भरे गड्ढे ने उन्हें अपनी ओर खींच लिया। यह गड्ढा अवैध मिट्टी खनन से बना था, जो अब एक खामोश जल समाधि बन चुका था। तीनों मासूमों को क्या पता था कि यह पानी उनके लिए मौत का कुआँ बन जाएगा।
शाम को जब उन्हें ट्यूशन पढ़ाने के लिए टीचर आए, तो घर में उनकी खोजबीन शुरू हुई। एक चरवाहे ने बताया कि उसने बच्चों को उसी गड्ढे में नहाते देखा था। यह सुनते ही पूरे परिवार के दिल की धड़कनें तेज हो गईं। जब परिजन उस गड्ढे के पास पहुंचे, तो किनारे पर रखे उनके कपड़े मिले। कपड़ों को देखकर मधु राय वहीं छाती पीटकर रोने लगे, "बजरंगिया रे! बजरंगिया! आयुष हो! आयुष! पंकज हो पंकज!" उनकी चीख पुकार से पूरा माहौल गमगीन हो गया।
ग्रामीणों की मदद से तीनों बच्चों को पानी से बाहर निकाला गया। परिजनों ने बिना देर किए उन्हें पटना एम्स ले जाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जब तीनों बच्चों के शव घर लाए गए, तो पूरे गांव में मातम छा गया। परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल था। हर किसी की आंखें नम थीं।
इस घटना ने एक बार फिर अवैध खनन के खतरों को सामने ला दिया है। यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि इंसान की लापरवाही और लालच का नतीजा है, जिसने तीन मासूमों की जान ले ली।

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