अहंकार की पराकाष्ठा "मुझे आपका वोट नहीं चाहिए " - मंत्री अशोक चौधरी !

  


खुले मंच से जनता को धमकी !विनाश काले विपरीत बुद्धि !

जैसे ही सांसद शांभवी चौधरी संबोधन के लिए पहुंचीं, ग्रामीणों ने हाथों में 'शांभवी वापस जाओ' और 'रोड नहीं तो वोट नहीं' लिखी तख्तियां उठाकर नारेबाजी शुरू कर दी. मंत्री चौधरी गुस्से में एसडीपीओ को निर्देश देते हुए बोले, “इनका फोटो लीजिए और सरकारी कार्य में बाधा डालने के मामले में कार्रवाई कीजिए.” मंच से सत्ता का रौब दिखाते हुए उन्होंने दोहराया, “मुझे आपका वोट नहीं चाहिए.”   ऐसे में, जब ग्रामीण अपना दर्द बयां करते हैं और बदले में उन्हें धमकी मिलती है, तो यह लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाना है। यह घटना सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि नेताओं के लिए एक सबक है कि जनता अब जागरूक हो चुकी है।

​क्या धमकी देना सही है?

​सार्वजनिक मंच पर जनता को धमकी देना और उनकी शिकायतों को नजरअंदाज करना किसी भी तरह से उचित नहीं है। ऐसे बयानों से जनता का विश्वास सरकार और नेताओं से उठ जाता है। अगर मंत्री अशोक चौधरी ने ग्रामीणों की बात सुनी होती और समाधान का आश्वासन दिया होता, तो शायद स्थिति इतनी खराब नहीं होती।

​लोकतंत्र में जनता मालिक होती है, और नेताओं को यह याद रखना चाहिए। अगर आप जनता को वोट देने के लिए मजबूर नहीं कर सकते, तो उन्हें उनकी समस्याओं के लिए चुप रहने के लिए भी मजबूर नहीं कर सकते। अंत में, यह सिर्फ मंत्री चौधरी की नहीं, बल्कि समूचे राजनीतिक वर्ग की परीक्षा है कि वे जनता की आवाज को कैसे सुनते हैं।

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