जीविका दीदियों को मिला ₹10,000: 'वोट गिफ्ट' या ब्याज वाला ऋण? मेरे सवाल पर एनडीए नेता हुए निरुत्तर! -प्रो प्रसिद्ध कुमार।
फुलवारी (पटना)। बिहार की राजनीति में इन दिनों एक सवाल खूब गरमा रहा है, जिसने फुलवारी प्रखंड मुख्यालय में आयोजित एक 'प्रभात खबर चौपाल' कार्यक्रम में एनडीए के नेताओं को सकते में डाल दिया। यह सवाल है जीविका दीदियों के बैंक खातों में बिहार सरकार द्वारा हाल ही में डाले गए ₹10,000 को लेकर। क्या यह एक चुनावी 'गिफ्ट' है, या फिर ब्याज सहित वसूली वाला सरकारी ऋण?
चौपाल कार्यक्रम में मौजूद रहे पूर्व जदयू विधायक अरुण मांझी (एनडीए) को मेरे सीधे और चुभते सवाल का सामना करना पड़ा।
सवाल जिसने नेताओं को फंसाया
प्रो. प्रसिद्ध कुमार ने अरुण मांझी से सीधा पूछा: "बिहार सरकार द्वारा अभी जीविका के खाते में 10-10 हजार रुपये दिए गए हैं। क्या इसे ब्याज सहित सरकार वसूलेगी या फिर यह वोट गिफ्ट है? स्पष्ट करें।"
इस सवाल पर अरुण मांझी बुरी तरह फंस गए। उन्होंने जो जवाब दिया, वह तथ्य से परे था। उन्होंने दावा किया कि यह 'वोट गिफ्ट' है और इस पर कोई ऋण या ब्याज वसूली नहीं होगी।
सच क्या है? 12% ब्याज का 'लोन'!
मैंने अपने ब्लॉग में स्पष्ट किया है कि एनडीए नेता का यह जवाब पूरी तरह गलत है। सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार, जीविका दीदियों को मिला यह पैसा 'वोट गिफ्ट' नहीं, बल्कि ऋण (Loan) है।
सही तथ्य ये है कि:
इस राशि पर 12% प्रति वर्ष की ब्याज दर लागू होती है।
इसे एक निश्चित समय सीमा में जीविका दीदी को चुकाना होता है।
नेताओं को इस योजना की सच्चाई और इसके 'लोन' (ऋण) स्वरूप को जनता के सामने साफ करना चाहिए।
चौपाल में कौन-कौन थे मौजूद?
'प्रभात खबर' द्वारा आयोजित इस चौपाल में राजनीतिक सरगर्मियाँ खूब थीं। एनडीए की तरफ से अरुण मांझी थे, जबकि विपक्ष से माले के वर्तमान विधायक कॉम. गोपाल रविदास, राजद के वरिष्ठ नेता देवकिशुन ठाकुर, नवलेश कुमार ,कांग्रेस के नेता ,हम , भाजपा के नेता ,राजद प्रखंड अध्यक्ष श्रवण कुमार , जिला पार्षद दीपक मांझी ,राजद नेता मोहन मंडल , भोला यादव ,कैस अनवर, रिंकू ,शुभम यादव, माले नेता शरीफा मांझी ,गुरुदेव दास , देवी पासवान सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे। विधायक गोपाल रविदास ने इस दौरान अपने 5 वर्षों के विधायक फंड का पाई-पाई हिसाब बेबाकी से दिया और अपनी योजनाओं को गिनाया।
बहरहाल, अब यह देखना है कि 'प्रभात खबर' उनके इस 'चुभते सवाल' और एनडीए नेता के गलत जवाब वाले सच को प्रकाशित करता है या नहीं। यह घटना दिखाती है कि जनता अब केवल आश्वासन नहीं, बल्कि योजनाओं की सच्चाई और स्पष्टता चाहती है!

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