राजद के घोषणा पत्र में वित्तरहित शिक्षक-कर्मचारियों के लिए संकल्प: एक विस्तृत विश्लेषण !-प्रो प्रसिद्ध कुमार।
राष्ट्रीय जनता दल ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में, विशेष रूप से बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान, शिक्षा क्षेत्र और संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों के मुद्दों को प्राथमिकता दी है। वित्तरहित शिक्षक (Non-funded teachers) और शिक्षकेतर कर्मचारी (Non-teaching staff), जो लंबे समय से वेतनमान, स्थायीकरण और सामाजिक सुरक्षा से वंचित रहे हैं, उनके लिए राजद के घोषणा पत्र में दो प्रमुख और निर्णायक वादे किए गए थे:
1. समान काम के लिए समान वेतन (Equal Pay for Equal Work)
यह घोषणा पत्र का सबसे महत्वपूर्ण वादा है।
घोषणा: राजद ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह सत्ता में आने पर समान काम के लिए समान वेतन के सिद्धांत को लागू करेगी।
विश्लेषण: इसका सीधा अर्थ यह है कि वित्तरहित इंटर , डिग्री कॉलेजों, मदरसों और अन्य अनुदानित संस्थानों के शिक्षक, जो सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के समान शैक्षणिक योग्यता रखते हैं और समान पाठ्यक्रम पढ़ाते हैं, उन्हें सरकारी शिक्षकों के समान ही वेतनमान (Pay Scale) और भत्ते प्राप्त होंगे।
तथ्यात्मक आधार: यह वादा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39(d) के तहत निहित "समान काम के लिए समान पारिश्रमिक" के सिद्धांत और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णयों पर आधारित है, जिसमें यह सिद्धांत सार्वजनिक रोजगार में लागू करने की बात कही गई है। यह वित्तरहित शिक्षकों की आर्थिक असुरक्षा को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया।
2. संविदा प्रणाली का उन्मूलन और स्थायीकरण (Regularisation)
वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा शर्तों को नियमित करने पर विशेष जोर दिया गया।
घोषणा: घोषणा पत्र में संविदा (contractual) आधारित नियुक्तियों की प्रणाली को धीरे-धीरे समाप्त करने और कार्यरत नियोजित/वित्तरहित शिक्षकों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने का वादा किया गया।
विश्लेषण: इस कदम से वित्तरहित शिक्षक और कर्मचारी न केवल नियमित वेतनमान के हकदार बनेंगे, बल्कि उन्हें पेंशन, ग्रेच्युटी, भविष्य निधि जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाएं और बेहतर सेवा शर्तें भी प्राप्त होंगी। स्थायीकरण से उनकी नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
तथ्यात्मक आधार: बिहार में नियोजित शिक्षकों की संख्या लाखों में है, जिनमें वित्तरहित संस्थानों से जुड़े लोग भी शामिल थे। यह घोषणा इस बड़े वर्ग के बीच व्याप्त अस्थिरता और असंतोष को दूर करने के लिए की गई थी।
समग्र प्रभाव और निष्कर्ष
राजद के घोषणा पत्र में ये दोनों वादे वित्तरहित शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों के लिए दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हैं।
यह घोषणा पत्र वित्तीय समानता और सेवा सुरक्षा पर केंद्रित था।
शिक्षकों के इस वर्ग को नियमित कर देने से राज्य में शिक्षा के गुणवत्ता स्तर में सुधार की अपेक्षा भी की जा सकती है, क्योंकि कर्मचारियों को अब अपनी नौकरी और वेतन की चिंता से मुक्ति मिलेगी।
यह घोषणा उस व्यापक सरकारी पहल का हिस्सा थी जिसमें 10 लाख सरकारी नौकरियों का वादा भी शामिल था, जहाँ शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर रिक्तियों को भरने की योजना थी।

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