चुनावी हिंसा: क्या लोकतंत्र में 'बुलेट' का कोई स्थान है?
(प्रत्याशी मदन सिंह चंद्रवंशी की तस्वीर )
तरारी में भाकपा माले प्रत्याशी के वाहन पर फायरिंग, सवाल उठाती घटना !😢
बिहार के चुनावी माहौल के बीच तरारी विधानसभा क्षेत्र से महागठबंधन समर्थित भाकपा माले प्रत्याशी मदन सिंह चंद्रवंशी के जनसंपर्क अभियान के दौरान उन पर और उनके वाहन पर की गई फायरिंग की घटना न केवल चिंताजनक है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के मूल्यों पर सीधा हमला है। यह घटना दर्शाती है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास रखने वाले नेताओं को आज भी 'बुलेट' के बल पर डराने और रोकने की कोशिशें जारी हैं।
लोकतंत्र की आत्मा पर आघात
लोकतंत्र का मूल सिद्धांत भयमुक्त और निष्पक्ष चुनाव है, जहाँ हर उम्मीदवार को जनता के बीच जाने और अपने विचारों को रखने का समान अवसर मिले। लेकिन जब किसी प्रत्याशी के वाहन पर जानलेवा हमला किया जाता है, जैसा कि बैसाडीह गांव में हुआ, तो यह सीधे तौर पर चुनावी प्रक्रिया की शुचिता को भंग करता है। यह घटना सिर्फ मदन सिंह चंद्रवंशी पर हमला नहीं है, बल्कि उन 'अंतिम पायदान' के नेताओं को चुप कराने की एक घिनौनी साजिश है, जो बदलाव की उम्मीद लेकर जनता के बीच आए हैं।
राजनीतिक आरोप और गंभीर संकेत
पूर्व विधायक मनोज मंजिल द्वारा फायरिंग करने वाले आरोपी के 'भाजपा समर्थक' होने का आरोप स्थिति को और भी गंभीर बना देता है। यदि ये आरोप सही हैं, तो यह स्पष्ट करता है कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा ने खतरनाक रूप ले लिया है, जहाँ वैचारिक मतभेद को हिंसा से दबाने की कोशिश की जा रही है। किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ाव रखने वाले व्यक्ति द्वारा चुनावी हिंसा को अंजाम देना लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति घोर अनादर है। यह इस बात का गंभीर संकेत है कि कुछ ताकतें चुनाव को जनमत संग्रह के बजाय शक्ति प्रदर्शन का मंच बनाना चाहती हैं।
कानून-व्यवस्था और प्रशासन की भूमिका
इस मामले में भाकपा माले प्रत्याशी की ओर से हसनबाजार थाना में नामजद प्राथमिकी दर्ज कराना और पुलिस द्वारा त्वरित जांच शुरू करना एक सकारात्मक कदम है। पीरो एसडीपीओ कृष्ण कुमार सिंह का मौके पर पहुंचकर मामले की जानकारी लेना प्रशासनिक सक्रियता को दर्शाता है। हालांकि, केवल प्राथमिकी और जांच पर्याप्त नहीं है। स्थानीय प्रशासन की असली परीक्षा आरोपी (सोनू उपाध्याय उर्फ सटका) की तत्काल गिरफ्तारी और उसके खिलाफ कठोर, निष्पक्ष कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने में है। यदि दोषी को तुरंत और कड़ा दंड नहीं मिला, तो यह न केवल भय का माहौल बनाएगा, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को बढ़ावा भी देगा।
बदलाव को रोकने की 'बुलेट' वाली साजिश
जैसा कि पूर्व विधायक मनोज मंजिल ने कहा, "जो बदलाव के झंडा लेकर निकल गया है, उसे दुनिया की कोई ताकत बदलाव होने से नही रोक सकता है।" यह भावना भारतीय राजनीति के उस अडिग विश्वास को दर्शाती है कि सत्ता परिवर्तन बैलेट (मतपत्र) से होगा, न कि बुलेट से। यह घटना उन शक्तियों की हताशा को दर्शाती है जो महसूस कर रहे हैं कि जनता अब 'महागठबंधन' के पक्ष में है और वे हिंसा के माध्यम से जनमत को प्रभावित करना चाहते हैं।
अंततः, तरारी की यह घटना एक वेक-अप कॉल है। चुनाव आयोग, पुलिस प्रशासन और सभी राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि चुनावी मैदान में हिंसा के लिए कोई जगह न हो। लोकतंत्र में, सबसे कमजोर उम्मीदवार भी बिना किसी डर के जनता के सामने जा सकता है। हिंसा की किसी भी कोशिश को सख्ती से कुचलना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि 'बुलेट' नहीं, बल्कि 'बैलेट' ही हमारे भविष्य का फैसला करे।

Comments
Post a Comment