अन्याय के विरुद्ध 'सेनापति' की तरह डटे: कॉम गोपाल रविदास की संघर्ष गाथा !-प्रो प्रसिद्ध कुमार।
(फरीदपुर में नीरज कुशवाहा मुखिया हत्याकांड में घटनास्थल पर गोपाल रविदास प्रतिरोध करते हुए)
फुलवारी विधायक का रिपोर्ट कार्ड: संघर्ष, सादगी और जनता के प्रति समर्पण
फुलवारी के विधायक कॉम गोपाल रविदास का नाम उन जुझारू नेताओं में शुमार है जो केवल चुनावी राजनीति तक सीमित नहीं रहते, बल्कि अन्याय और अत्याचार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर सीधे संघर्ष करते हैं। उनका राजनीतिक जीवन सादगी, पारदर्शिता और पीड़ितों के लिए अथक लड़ाई का पर्याय है।
🔥 जब-जब जनता पर संकट आया, गोपाल रविदास 'सेनापति' बने
कॉम गोपाल रविदास ने अपने कार्यकाल में कई ऐसे संवेदनशील और ज्वलंत मुद्दों पर मुस्तैदी से लड़ाई लड़ी, जब पीड़ितों को सबसे ज्यादा सहारे की ज़रूरत थी:
पीएफआई मामले में अल्पसंख्यक समुदाय का बचाव: फुलवारी शरीफ में सैंकड़ों अल्पसंख्यक युवाओं को पीएफआई (PFI) से जुड़े मामलों में फंसाने की कोशिश हुई, तब गोपाल रविदास उनकी ढाल बनकर खड़े रहे और उन्हें न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया।
दंगों के खिलाफ मुखर आवाज़: गाय के नाम पर दंगे भड़काने की कोशिशों के खिलाफ उन्होंने दृढ़ता से विरोध किया और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए प्रयास किए।
क्रूर हत्याओं पर ज़ोरदार आवाज़: जानीपुर में दो बच्चों की निर्मम हत्या हो या फिर गरीबों के नेता नीरज कुशवाहा की दिनदहाड़े सामंतों द्वारा की गई निर्मम हत्या, हर मौके पर रविदास जी ने पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ी। नीरज मुखिया की हत्या के बाद तो वे दिनभर सड़क पर बैठकर हत्यारों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते रहे।
सवाल यह है कि जब-जब जनता पर संकट आया, बाकी नेतागण कहाँ गायब थे? यह सवाल उन लोगों से पूछना ज़रूरी है जिनकी आँखों पर पट्टी बंधी हुई है और वे गोपाल रविदास के संघर्षों को अनदेखा करते हैं।
🚧 विकास और जनता के मुद्दे पर अडिग
विरोध प्रदर्शनों के अलावा, कॉम गोपाल रविदास विकास के मुद्दों पर भी सक्रिय रहे:
पोठही (Pothahi) में आरओबी के लिए संघर्ष: पोठही में रेलवे ओवर ब्रिज (ROB) के निर्माण को गति देने के लिए उन्होंने न केवल धरना-प्रदर्शन किया बल्कि स्वयं डीआरएम (DRM) कार्यालय जाकर अधिकारियों से मुलाकात की और इसे जल्द से जल्द 'कायाकल्प' करने के लिए जूझते रहे।
🏡 सादगी की मिसाल: 'रानी' नहीं, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की पति।
गोपाल रविदास का 'रिपोर्ट कार्ड' यह भी बताता है कि उन्होंने कितनी पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ लोगों की सेवा की है। उनकी सादगी आज के दौर के नेताओं के लिए एक बड़ा संदेश है:
पारिवारिक जीवन: अगर कॉम गोपाल रविदास भी आज के नेताओं की तरह ऐशो-आराम की ज़िंदगी जीना सीखते, तो उनका परिवार आज भी इंदिरा आवास में नहीं रहता।
पत्नी का समर्पण: उनकी पत्नी सदर अस्पताल मसौढ़ी में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की नौकरी नहीं कर रही होतीं, बल्कि 'रानी' बनकर रहतीं। यह सादगी ही उन्हें जनता से जोड़े रखती है।
यह सही है कि अल्पकालिक अवधि में बहुत से काम अभी बाकी हैं, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि वे जनता से दूर रहे। कॉम गोपाल रविदास की राजनीति सत्ता सुख के लिए नहीं, बल्कि संघर्ष, सादगी और गरीबों के अधिकार के लिए है।

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