प्रोफेसर जोसेफ़ की सेवानिवृत्ति: ज्ञान की तपस्या का विराम!-प्रो प्रसिद्ध कुमार।

   


​राम लखन सिंह यादव कॉलेज में चार दशक की गौरवशाली सेवा का समापन!

​चार दशकों तक राम लखन सिंह यादव कॉलेज, अनीसाबाद, पटना के प्रांगण को अपने ज्ञान के आलोक से आलोकित करने वाले प्रोफेसर एस. एस. जोसेफ़ ने सेवाकाल से अवकाश ग्रहण कर लिया है। उनका यह विराम मात्र एक प्रोफेसर की सेवानिवृत्ति नहीं, अपितु कॉलेज के शैक्षणिक गगन में एक तेजस्वी नक्षत्र के ओझल हो जाने जैसा है।

​ 'वटवृक्ष' सा व्यक्तित्व और 'गंगा' सी वाणी

​वनस्पति विज्ञान (Botany) के इस प्रखर विद्वान का व्यक्तित्व किसी सुदृढ़ वटवृक्ष के समान था—गहराई और स्थिरता से परिपूर्ण। उनकी वाणी में धाराप्रवाह अंग्रेजी की सरिता बहती थी, जो श्रोताओं को सहज ही अपने साथ बहा ले जाती थी। वे केवल पाठ्यक्रम के ज्ञाता नहीं थे; देश-दुनिया की खबरों को वे तर्क की कसौटी पर कसते थे और उनकी व्याख्या की कला अद्भुत थी। लंबे, सुगठित कद-काठी और सदाचारी रखरखाव (Well-maintained) में रहने वाले प्रोफ़ेसर साहब जब किसी विषय पर बोलते थे, तो वह बात सीधे हृदय के द्वार तक पहुँचती थी।

​उनके जाने से आज कॉलेज का गलियारा सूना-सूना प्रतीत होता है, मानो वीणा का कोई तार अचानक टूट गया हो।

​ 'दीपक' की दीप्ति और 'मिट्टी' का अनुराग

​प्रोफेसर जोसेफ़ ने अल्पसंख्यकों के ईसाई समुदाय से होते हुए भी, कॉलेज में सदैव सर्वधर्म समभाव की जीवंत प्रतिमूर्ति के रूप में सेवा की। उनके लिए कॉलेज एक मंदिर था, जहाँ ज्ञान का दीपक निरंतर प्रज्ज्वलित रहा।

​अपने बचपन के खगौल रेलवे क्वार्टर के दिनों की स्मृतियों को अपने भीतर सँजोए, उन्होंने जीवन भर अपने पड़ोस और संबंधों को स्नेह दिया। उनका सरल स्वभाव ही था कि वे जानते थे कि पाँच वर्ष का विस्तार (Extension) उन्हें मिल सकता था, पर उन्होंने उसे त्याग कर शेष जीवन सामाजिक, धार्मिक कार्यों और परिवार रूपी उपवन को सींचने का निर्णय लिया।

​सेवा से विदा लेते समय भी, उनका कॉलेज की 'मिट्टी' के प्रति प्रेम स्पष्ट झलका। उन्होंने कॉलेज को दो सीलिंग फैन और अन्य आवश्यक वस्तुएँ उपहार में दीं, जैसे कोई पुष्प जाते-जाते अपनी सुगंध छोड़ जाए। समस्त स्टाफ को जलपान कराकर, उन्होंने स्नेह की अंतिम 'मीठी' छाप भी छोड़ी।

​विरासत और कामनाएँ

​आज उनके पढ़ाए हुए अनेक शिष्य रूपी 'बीज' वटवृक्ष बनकर देश-दुनिया में ऊँचे मुकाम हासिल कर रहे हैं। यह उनकी तपस्या का मीठा फल है।

​इस गरिमामय अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सुरेंद्र प्रसाद, उप-प्राचार्य डॉ. शंकर प्रसाद साह, प्रो. रामबीनेश्वर सिंह, प्रो. श्रीपाल सिंह,  प्रो. आर.एन. उपाध्याय,  प्रो. उस्मानी, प्रो. सतेंद्र ,  प्रो. डॉ. राजकिशोर प्रसाद, प्रो. परिवेश साह     , प्रो आनंद , प्रो रामजीवन यादव , इंदुभूषण यादव सहित अनेक  स्टाफ उपस्थित रहे ।

​कॉलेज प्रबंधन यह कामना करता है कि जोसेफ़ रूपी ज्ञान का 'सूर्य' दीर्घायु, स्वस्थ और प्रसन्नचित्त रहें तथा समाज को अपनी विद्वता से निरंतर 'रौशनी' देते रहें।

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