'सूत्रधार' की नाट्य कार्यशाला का भव्य समापन: सृजन और अभिव्यक्ति की नई उड़ान !
दस दिवसीय कला-साधना से छात्र-छात्राओं में हुआ नवजागरण!
आरा: प्रकृति के स्पंदन के साथ ही, सांस्कृतिक चेतना का एक नया आलोक आरा की धरती पर उतर आया है। जहां वातावरण अभी तक सोया हुआ था, अब वह अंगड़ाई लेकर जागृत हो उठा है। इन दिनों आरा का परिवेश एक अप्रतिम ऊर्जा से ओत-प्रोत है। विगत 12 नवंबर से यहाँ का वातावरण सैकड़ों बच्चों के मधुर संगीत और जीवंत नृत्य की थाप से गुंजायमान रहा। जो बाल-हृदय कल तक कला की विविध विधाओं से अनभिज्ञ थे, आज उन्होंने अपने जीवन में आशा और अभिव्यक्ति के असंख्य रंगों को पहचानना सीख लिया है।
यह नवजागरण बिहार, पटना की सुविख्यात नाट्य संस्था 'सूत्रधार' द्वारा आयोजित दस दिवसीय निःशुल्क प्रस्तुतिपरक नाट्य कार्यशाला का प्रतिफल है। लगभग 35-40 उत्साही छात्र-छात्राएँ प्रतिदिन यादव विद्यापीठ मध्य विद्यालय, मौलाबाग में कला की इस यज्ञशाला में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे। इन बच्चों के स्वर, उनकी वाणी, उनका उल्लास और उनकी आकांक्षाएँ—सब एक लय, एक ताल में समाहित हो चुके हैं। यह अद्वितीय प्रयास 'सूत्रधार' के कर्मठ और वरिष्ठ प्रशिक्षक कलाकारों की अथक साधना का परिणाम है।
अभिव्यक्ति का सारथी: नृत्य, संगीत और नाटक का त्रिवेणी संगम
प्रातःकाल से लेकर दोपहर बाद तक, लगभग दस निष्ठावान प्रशिक्षक इन बच्चों को कला की विभिन्न विधाओं से दीक्षित कर रहे थे। एक ओर कोई नृत्य की भंगिमाएँ सीख रहा था, तो दूसरी ओर कोई संगीत के सुर साध रहा था। कार्यशाला के ये बाल-साधक अब अपनी बात मुखरता से रखना सीख गए हैं। संगीत के 'सारेगामा' से लेकर अभिव्यक्ति के सबसे सशक्त माध्यम नाटक तक, इन्होंने एक रचनात्मक यात्रा तय की है।
इस रचनात्मक अनुष्ठान में प्रशिक्षक के रूप में अनिल कुमार सिंह, अंबुज कुमार, बीरेंद्र ओझा, भरत आर्य, आकांक्षा प्रियदर्शी, मुकेश कुमार, लड्डू भोपाली, आरती देवी, सुमन कुमार सहित कई अन्य कलाकारों ने प्रत्येक बच्चे के पीछे श्रम और स्नेह का निवेश किया।
केवल नाटक नहीं, सामाजिक सरोकारों का मंच
संस्था के महासचिव नवाब आलम ने 'सूत्रधार' के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह संस्था मात्र नाटक मंचन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह रोजमर्रा के सामाजिक सरोकारों और ज्वलंत मुद्दों को जन-जन तक पहुँचाने वाली एक महत्वपूर्ण सामाजिक-सांस्कृतिक इकाई है।
भावपूर्ण विदाई: 'जीवन अनमोल है' की प्रस्तुति
इस दस दिवसीय कला-यात्रा का भव्य समापन 22 नवंबर को हुआ। इस अवसर पर कार्यशाला में तैयार किए गए मार्मिक नाटक "जीवन अनमोल है" का मंचन किया गया। मंच पर संकल्प, पुष्पांजलि, गीतांजलि, स्वीटी, सोनी, अंजलि, अंकुर ने अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके अतिरिक्त, प्रिय कुमारी, ऋषिका कुमारी, अभिनंदन कुमार, पृथ्वी कुमार ने समूह गायन के माध्यम से एक भावपूर्ण समां बांधा।
इस गरिमामयी अवसर पर प्राचार्य अनिल कुमार सिंह, शिक्षक अमरनाथ प्रसाद, विद्या प्रकाश सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। आयोजन समिति से जीशान आलम, आसिफ हसन, मुकेश कुमार, जुनैद, सैफ, शिवम् कुमार एवं अन्य शिक्षक, कलाकार और सदस्य इस सफल आयोजन के साक्षी बने। 'सूत्रधार' की यह पहल, आरा में कला और संस्कृति के एक स्वर्णिम अध्याय का सूत्रपात करती है।



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